मनुष्य का जन्म 9 महीने में ही क्यों पूर्ण होता है ? जानें शास्त्रों की चौंकाने वाली व्याख्या
punjabkesari.in Monday, Dec 29, 2025 - 04:49 PM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Pregnancy Journey : कभी आपने यह सोचा है कि मनुष्य का जन्म हमेशा 9 महीने बाद ही क्यों होता है? वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह भ्रूण के पूर्ण विकास के कारण है, लेकिन धार्मिक और प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, इसके पीछे और भी गहरा अर्थ छिपा है। 9 महीने केवल शारीरिक निर्माण की अवधि नहीं, बल्कि आत्मा की तैयारी, स्मृति का अवसान और पुनर्जन्म के लिए तैयारी का समय भी माना जाता है।

जन्म केवल जीवन की शुरुआत नहीं
कई भारतीय ग्रंथ बताते हैं कि जीवन की यात्रा जन्म से शुरू नहीं होती। जन्म को सिर्फ एक प्रवेश बिंदु के रूप में देखा जाता है, जबकि वास्तविक उत्पत्ति उससे पहले ही होती है।
9 महीने का आध्यात्मिक रहस्य
प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, गर्भ केवल शारीरिक विकास का स्थान नहीं बल्कि आत्मा के लिए एक दहलीज की तरह है। उपनिषदों में वर्णित है कि जब आत्मा गर्भ में प्रवेश करती है, तो उस पर पूर्व जन्म के कर्मों का प्रभाव होता है। इस दौरान शिशु को किसी भी पूर्व स्मृति का ज्ञान नहीं होता।
पुराणों में बताया गया है कि गर्भ में रहते हुए आत्मा धीरे-धीरे अपनी ब्रह्मांडीय चेतना को छोड़ती है और सांसारिक अनुभवों के लिए तैयार होती है। हर महीने यह प्रक्रिया उसे शरीर, समय, भूख, भावनाओं और सीमाओं के अनुसार ढालती है।
भारतीय संस्कृति में अंक 9 को पूर्णता और संपूर्णता का प्रतीक माना गया है। इसी तरह, गर्भ में 9 महीनों की अवधि को भी पूर्णता और विकास का संकेत माना जाता है।

ग्रहों का प्रभाव गर्भ पर
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गर्भ में प्रत्येक महीने ग्रहों का अलग प्रभाव रहता है:
पहला महीना: शुक्र ग्रह, सुंदरता और आकर्षण का असर
दूसरा महीना: मंगल ग्रह, शक्ति और ऊर्जा
तीसरा महीना: गुरु ग्रह, ज्ञान और बुद्धि
चौथा महीना: सूर्य ग्रह
पांचवा महीना: चंद्र ग्रह
छठा महीना: शनि ग्रह
सातवां महीना: बुध ग्रह
आठवां महीना: चंद्र ग्रह
नौवां महीना: सूर्य ग्रह
इन ग्रहों का प्रभाव शिशु के विकास और स्वास्थ्य पर भी माना जाता है।
9 महीने क्यों जरूरी हैं
यदि बच्चा समय से पहले जन्म ले लेता है तो अंगों का विकास अधूरा रह जाता है और स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। इसलिए शिशु के लिए गर्भ में 9 महीने रहना अत्यंत आवश्यक है, ताकि उसका शारीरिक और मानसिक विकास सही तरीके से पूरा हो सके।

