Astrology & Depression: ज्योतिष से करें डिप्रेशन और अनिद्रा का उपचार, मिलेगा 100% समाधान
punjabkesari.in Sunday, Jun 08, 2025 - 02:55 PM (IST)

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Treat depression and insomnia with astrology: आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के अनुसार डिप्रेशन मूल रूप से मस्तिष्क में रसायनिक स्त्राव के असंतुलन के कारण होता है, परंतु ज्योतिषशास्त्र के कालपुरुष सिद्धांत अनुसार डिप्रेशन का कारक, मन को संचालित करने वाला ग्रह चंद्रमा तथा व्यक्ति की जन्मकुंडली में चतुर्थ भाव के स्वामी को माना जाता है । चंद्रमा के पृथ्वी के सबसे नजदीक होने के कारण व्यक्ति के मन को सर्वाधिक प्रभावित करता है, क्योंकि ज्योतिष में चंद्रमा का पूर्ण सम्बंध हमारे मानसिक क्रियाओं से है ।
यदि चंद्रमा या चतुर्थ भाव का स्वामी नीच राशी में स्थित हो अथवा छठे भाव के स्वामी के साथ युति कर रहा हो अथवा राहू या केतु के साथ युति ग्रहण योग निर्मित कर रहा हो तो डिप्रेशन की उत्पति होती है । बारहवें भाव का स्वामी का चतुर्थ भाव में स्थित होने पर भी व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार होता है। चंद्रमा के एक नाम सोम भी है ।
डिप्रेशन का सटीक अर्थ है मनोभाव सम्बंधित दुख । डिप्रेशन की अवस्था में व्यक्ति स्वयं को लाचार व निराश महसूस करता है । डिप्रेस्ड व्यक्ति के लिए सुख, शांति, सफलता, खुशी व संबंध तक बेमानी हो जाते हैं । डिप्रेस्ड व्यक्ति को सर्वत्र निराशा, तनाव, अशांति, अरुचि प्रतीत होती है । वैज्ञानिक दृष्टि से डिप्रेशन के भौतिक कारण हैं जैसे कि कुपोषण, आनुवांशिकता, हार्मोन, मौसम, तनाव, बीमारी, नशा, लंबे समय तक अप्रिय स्थिति में रहना इत्यादि ।
डिप्रेशन के कारण व्यक्ति में नींद की समस्या अर्थात अनिद्रा भी जन्म लेती है । डिप्रेशन के पीछे कई जैविक, आनुवांशिक और मनोसामाजिक कारण भी होते हैं । डिप्रेशन का मूल कारण जैवरासायनिक असंतुलन भी है । तीव्र डिप्रेशन आत्मघात तक को जन्म दे सकता हैं । ज्योतिषशास्त्र अनुसार डिप्रेशन का केन्द्र बिन्दु मन को माना जाता है । मन शरीर का अथाधिक सूक्ष्म अव्यव है, परंतु मन ही मूल रूप से आन्तरिक एवं बाह्य सभी प्रकार की क्रियायों को प्रभावित करता है ।
ज्योतिष से करें डिप्रेशन और अनिद्रा का उपचार, मिलेगा 100% समाधान
सोमवार व पूर्णिमा को चावल, दूध, मिश्री, चंदन, चीनी, खीर, सफेद वस्त्र, चांदी इत्यादि वस्तुओं का दान करें ।
दो मुखी रुद्राक्ष पंचधातु में मंडवाकर और लाल धागे में पिरोकर गले में धारण करें।
चांदी के ग्लास में जल, शर्बत इत्यादि शीतल पदार्थों का सेवन करें।
नित्य पानी में शतावरी मिला कर स्नान करें।
सफेद चंदन घिसकर मस्तक पर तिलक करें।
शिव चंद्र शेखर अष्टकम् का नित्य पाठ करें।
सफेद रंग के अंडर गारमेंट्स कभी न पहनें।
रात के समय में कभी दूध न पिएं।
हरे रंग का परित्याग करें।