Astrological Yoga and Occupation: ज्योतिष से जानें, कौन सा व्यापार बनाएगा धनवान

punjabkesari.in Wednesday, Oct 19, 2022 - 09:33 AM (IST)

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Astrological Yoga and Occupation: चंद्र, सूर्य या लग्न इनमें से जो भी ग्रह कुंडली में अधिक बली होता है, उससे दशम भाव में जो भी राशि पड़ती है, उस राशि का स्वामी जिस नवमांश में है, उस राशि के स्वामी ग्रह के गुण, स्वभाव तथा साधन से जातक धन प्राप्त करता है। जैसे दशम भाव की राशि का स्वामी नवमांश में यदि कर्क राशि में स्थित है, तो व्यक्ति चंद्र ग्रह से संबंधित कार्य करेगा। ऐसा भी हो सकता है कि दशम भाव में कोई ग्रह नहीं हो, तो दशमेश ग्रह के अनुसार व्यक्ति व्यवसाय करेगा। साथ बैठे अन्य ग्रहों का प्रभाव भी व्यक्ति के व्यवसाय पर पड़ना संभव है।

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Profession based on astrology:
जातक का लग्न यदि स्थिर राशि (2, 5, 8, 11) का है, तो व्यक्ति स्थिर आमदनी वाला व्यवसाय करता है। बलवान लग्नेश शारीरिक शक्ति, हिम्मत, जोश से व्यवसाय कराता है। बलवान सूर्य आत्म विश्वास की क्षमता बढ़ाता है। बुध बलवान होकर कार्य क्षमता में उन्नति के विचार की शक्ति देता है। स्थिर राशि का चंद्र स्थिर व्यापार कराने में विशेष सहायक होता है। चर राशि के चंद्रमा वाले लोग बार-बार व्यवसाय व्यापार में पैसा फंसा कर व्यवसाय बदलते हैं। व्यवसाय तय करने में लग्न और लग्नेश का विशेष महत्व रहता है।

अग्नि तत्व राशि (3, 7, 11) लग्न वाले लोगों को जनसंपर्क वाले व्यवसाय नहीं करने चाहिए, क्योंकि ऐसे व्यक्ति को जल्दी गुस्सा आता है। इसी प्रकार जल तत्त्व राशि (4, 8, 12) लग्न वाले व्यक्ति को भी व्यवसाय के झंझट में नहीं फंसना चाहिए, क्योंकि ऐसा व्यक्ति अपने व्यवहार के कारण व्यवसाय में नाकाम रहता है।

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Which is most powerful yoga in astrology: व्यवसाय की सफलता तब ही संभव होती है, जब 2, 9, 10, 11 भाव के स्वामी कुंडली में त्रिक भाव (6, 8, 12) में निर्बल, अशुभ, पापयुक्त या पापकर्लरी योग में नहीं हों। कर्म स्थान का ग्रह उच्च का हो, तो स्वतंत्र व्यवसाय से आय संभव है। बलवान सूर्य भी स्वतंत्र व्यवसाय दर्शाता है। पंचमेश उच्च, त्रिकोण स्थान में होने पर व्यक्ति ने जिस विषय की पढ़ाई की है, उसी से संबंधित व्यवसाय करता है। पंचम स्थान में यदि उच्च का ग्रह है, तो व्यक्ति रेस, लॉटरी, जुआ-सट्टे से धन कमाता है। लाभेश उच्च या त्रिकोण स्थान में होता है, तो विदेशी वस्तुओं से लाभ संभव है।

दशम भाव में चंद्र-शुक्र की युति होने पर व्यक्ति जवाहरात का व्यवसाय करता है। चंद्र-शनि की युति खनिज पदार्थ  का व्यवसाय करना भी दर्शाता है। प्रवास कारक चंद्र, व्यवसाय कारक बुध की युति ट्रैवल संबंधी व्यवसाय कराती है। चंद्र, बुध का संबंध 3, 7, 9 भाव से हो और गुरु बलवान हो, तो ट्रैवल एजेंसी का कार्य संभव है। उच्च का चंद्र व्यक्ति को एजैंट बनाता है।

केंद्र में शनि और मंगल की युति व्यक्ति को उद्योगपति बनाती है। यदि मंगल, शनि, शुक्र कुंडली में उच्च के होते हैं, तो सौंदर्य प्रसाधन एवं विदेशी महंगी चीजों से संबंधित उत्पादन का व्यवसाय कराती हैं। मंगल और राहु की युति शुभ भाव में हो, तो व्यक्ति कम समय में अकल्पित कमाई शीघ्रता से करता है। कुंडली में बुध, शनि ग्रह उच्च के हों और मंगल रूचक योग बने, तो व्यक्ति अच्छा लेखक, मंत्री, पत्रकार बन सकता है। उच्च का शुक्र और नेपच्यून मेडिकल, विदेशी वस्तु, ब्यूटी पार्लर, संगीत, सिनेमा, नाटक जैसे कार्य कराता है।
आजीविका सम्बन्धी यह सामान्य जानकारी है, पूर्ण जानकारी के लिए विशेषज्ञ की सलाह लें। आजीविका का निर्धारण व्यक्ति की योग्यता शिक्षा, अनुभव से तो होता ही है, उसकी कुंडली में बैठे ग्रह भी प्रभाव डालते हैं।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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