ज्योतिष की राय: दशम भाव से चुनें करियर, बदलेगा जीवन और भाग्य

punjabkesari.in Wednesday, Aug 23, 2017 - 01:53 PM (IST)

मंगल प्रबल होना परम आवश्यक है। अगर कारकांश लग्र में पूर्ण चंद्रमा अथवा शुक्र साथ-साथ हों अथवा लग्र में बैठे हुए शुक्र पर चंद्रमा की दृष्टि हो तो वह जातक अपनी आजीविका अपनी विद्वता से चलाता है। ग्रहों में बुध को संवाहक माना गया है। अत: बुध का प्रभावशाली होना डाक विभाग में उच्च पद पर पहुंचाता है। कर विभाग का संबंध आय तथा पैसे की वसूली से है। अत: बुध का शुभ होना लाभ देता है।


अगर धनु लग्र की कुंडली में लग्नेश तथा पंचमेश की युति दशम स्थान में हो तो जातक वकील बनता है। अगर मंगल पराक्रमेश एवं कर्मेश होकर पराक्रम या क्रम स्थान में हो तथा भाग्येश की गुरु के साथ युती अथवा दृष्टि हो और गुरु शुभ स्थान में स्थित हो, तो जातक न्यायाधीश बनता है। मेष या वृश्चिक लग्र की कुंडली में मंगल की दृष्टि लग्र पर हो या सूर्य की कर्म स्थान पर दृष्टि अथवा स्थिति हो तथा गुरु की कर्म स्थान पर एवं कर्मेश पर दृष्टि जातक को सफल वकील बनाते है।


भाग्यस्थ शुक्र तथा सप्तम पर बृहस्पति की दृष्टि होने से जातक फिल्म में संवाद लेखक होता है। भाग्य भाव में कर्क राइश का शुक्र हो तथा चंद्र की दृष्टि हो तो जातक अभिनेता बनने में समर्थ होता है। 


लग्नेश लग्नस्थ हो, धनेश धन भाव को देखता हो तथा बुध एवं शुक्र की युती हो और भाग्य स्थान प्रबल हो तो जातक बैंक अधिकारी होता है। अगर गुरु के साथ हो तो जातक अपनी आजीविका अच्छे कार्यों से चलाता है। कारकांश लग्र में शुक्र होने पर जातक राज अधिकारी होता है और जीवन भर सभी प्रकार की सुख-सुविधाओं का उपभोग करता रहता है।


वृश्चिक लग्न पर लग्नेश की दृष्टि या कर्म एवं लग्र स्थान पर राशि का प्रभाव राजनीतिज्ञ होने का संकेत होता है। लग्न में 3 या अधिक ग्रहों की स्थिति तथा वाणी भवन पर मंगल का प्रभाव राजनीति की ओर अग्रसर करता है। शनि दशमस्थ हो तथा मंगल एवं सूर्य की युती हो और मंगल की लग्र पर दृष्टि तथा कर्म पर लग्नेश का प्रभाव राजनीति में पहुंचा देता है।


मंगल एवं पराक्रमेश की युती तथा शनि एवं मंगल की दृष्टि जातक को सफल इंजीनियर बना देती है। भाग्येश शनि और लाभेश मंगल की परस्पर दृष्टि या युती जातक को इंजीनियर बना देती है। दशमेश पर मंगल, शनि एवं भाग्येश का प्रभाव जातक का इंजीनियरिंग से करियर बनता है। मंगल, शनि का दशम भाव पर प्रभाव या दशम स्थान पर शनि की राशि जातक को इंजीनियरिंग से जोड़ती है। शनि की लग्न पर मंगल का प्रभाव हो तो मनुष्य इंजीनियरिंग व्यवसाय की ओर जाता है।


केतु की स्थिति किसी को जन्म-पत्रिका में अगर कारकांश में हो तो भारी वाहनों, दलाली आदि के धंधे से संबंधित कर करियर बनाता है। 


बुध, शुक्र तथा शनि का संबंध छठे घर या दशम भवन से होता है, जो जातक चर्म रोग विशेषज्ञ बनाता है। शुक्र और गुरु अगर छठे या बारहवें भवन में एक साथ बैठे हों तो जातक चिकित्सक बनता है। सूर्य और मंगल का दशम भवन में होना अच्छा सर्जन बनने का योग देता है। द्वितीय भवन-द्वितीय भवन शिक्षा, वाणी आदि का भाव है। 


इसके बली होने पर जातक की कम्प्यूटर की शिक्षा की संभावनाएं बढ़ती हैं। तृतीय भवन-यह दूरसंचार का भाव होने से कम्प्यूटर से संबंधित भाव बनता है। 


सप्तम भवन-सप्तम भवन कर्म भाव का सहयोगी एवं व्यापार का भाव भी माना जाता है। दशम भवन-यह कर्म का प्रमुख भाव है। एकादश भाव-यह आय, लाभ का भाव है। इससे भी करियर की स्थिति देखी जाती है। 


पाठक स्मरण रखें, मानव के कार्य क्षेत्र का आकलन करने के लिए केवल जन्म कुंडली का अध्ययन अधिक उपयोगी सिद्ध नहीं होगा। दशमांश कुंडली एवं नवांश कुंडली का सूक्ष्म अध्ययन भी फल कथन में सत्यता ला सकता है। जीवन और भाग्य का प्रतिनिधि नवांश तथा कर्म क्षेत्र की सूचक दशमांश कुंडली होती है।       


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