चंद्र ग्रहण: मकर राशि एवं श्रावण नक्षत्र के उपग्रहों में जन्मे जातक करें ये काम

punjabkesari.in Monday, Aug 07, 2017 - 11:24 AM (IST)

सूर्य ग्रहण हो अथवा चंद्र ग्रहण, यह अनोखा आकाशीय चमत्कार होता है जिससे ज्योतिष ज्ञान, ग्रहों-उपग्रहों की गतिविधि एवं तारामंडल के बदलते स्वरूप का परिचय प्राप्त होता है। ग्रहों की दुनिया में यह घटना भारतीय मनीषियों को अत्यंत प्राचीन काल से ज्ञात थी और इसका विश्लेषण धार्मिक ग्रंथों-पुराणों एवं ज्योतिष ग्रंथों पर आधारित था। महर्षि अत्रि ग्रहण ज्ञान के प्रथम ज्ञाता एवं आचार्य थे। इसके अलावा ऋग्वेद काल से ग्रहण पर अध्ययन, मनन एवं अनुसंधान होते चले आ रहे हैं।


सूर्य ग्रहण अमावस को तथा चंद्र ग्रहण पूर्णिमा को होता है-चंद्र ग्रहण के काल में सूर्य में पृथ्वी सूर्य एवं चंद्रमा के बीच होती है उस समय सूर्य-पृथ्वी एवं चंद्रमा एक सीध में होते हैं। पृथ्वी जब सूर्य और चंद्र के बीच आती है और चंद्रमा पृथ्वी की छाया में होकर अपने परिक्रमा पथ से गुजरते हैं तब चंद्र ग्रहण होता है। पृथ्वी की छाया चंद्र मंडल को ढंक लेती है जिससे चंद्रमा में एक काला मंडल दिखलाई पड़ता है वही चंद्र ग्रहण कहलाता है। पृथ्वी एवं चंद्र के भ्रमण क्रम कुछ ऐसे हैं कि पूर्णिमा को पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है। उसकी छाया शंकुवत होती है, जब यह छाया चंद्रमा पर पड़ती है अथवा यह समझें कि चंद्रमा अपनी गति के कारण पृथ्वी की छाया शंकु में प्रविष्ट करते हैं तब कभी-कभी सम्पूर्ण चंद्र मंडल ढंक जाता है और कभी-कभी उसका कुछ अंश ही ढंकता है। 


सम्पूर्ण चंद्र के ढंकने की अवस्था को पूर्ण चंद्र ग्रहण एवं आंशिक ढंकने को खंड ग्रास चंद्र ग्रहण कहते हैं इसलिए प्रत्येक पूर्णिमा को भी ग्रहण नहीं होता। 7 अगस्त सोमवार रात्रि को घटित हो रहा चंद्रग्रहण चूड़ामणि चंद्रग्रहण कहलाता है। इसका शास्त्रों में विशेष महत्व है। यह खंडग्रास चंद्रग्रहण मकर राशि एवं श्रावण नक्षत्र में घटित हो रहा है इसलिए मकर राशि एवं श्रावण नक्षत्र के उपग्रहों में जन्म लेने वाले जातकों को चंद्र, राहू तथा शनि का दान एवं जप अवश्य करना चाहिए। 


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