जीवन में एक बार यहां स्नान करने की कामना रखता है हर हिन्दू

punjabkesari.in Thursday, Jun 18, 2015 - 03:57 PM (IST)

पुष्कर के पवित्र सरोवर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में नाग पहाड़ों की पर्वत श्रृंखला है। पर्वतों की यह श्रृंखला घाटों के बहुत ही करीब से प्रारम्भ हुई है, जबकि उत्तर दिशा में कोई पहाड़ नहीं है। ईशान कोण में थोड़ी दूरी पर छोटी पहाड़ी है और पूर्व दिशा में जो पहाड़ है, वह पहाड़ सरोवर से काफी दूरी पर स्थित है। दक्षिण-पश्चिम दिशा की यह पहाड़ो की ऊंचाई उसी प्रकार है जिस प्रकार दरगाह शरीफ अजमेर में तारागढ़ पहाड़ी की ऊंचाई है। तिरुपति बालाजी मंदिर के परिसर से एकदम सटकर पश्चिम दिशा में पहाड़ हैं और दक्षिण दिशा में काफी ऊंचाई है।

पुष्कर सरोवर का फैलाव उत्तर दिशा में उत्तर ईशान तक बढ़ाव लिए हुए है, साथ ही सरोवर गहराई भी उत्तर एवं उत्तर ईशान में अन्य दिशाओं की तुलना में ज्यादा है। पुष्कर सरोवर की उत्तर दिशा स्थित यह बढ़ाव और गहराई हिमालय स्थित मानसरोवर झील की तरह ही है। इसी वास्तुनुकूलता के कारण पुष्कर सरोवर मानसरोवर झील की तरह ही प्रसिद्ध है। जहां हर हिन्दू जीवन में एक बार स्नान करने की कामना रखता है।

पुष्कर सरोवर की उत्तर दिशा में ही घाट समाप्त होने के बाद सड़क के दूसरी तरफ कई नर्सरी हैं जो 8 से 10 फीट गहराई लिए हुए हैं। कई वर्षों पूर्व तक इन नर्सरी में आस-पास की पहाड़ियों का पानी इकट्ठा होता था परन्तु पिछले कुछ वर्षों में नर्सरियों में मिट्टी डालकर भराव कर दिया गया है और उन पर पक्के घर बना दिए गए हैं, किन्तु अभी भी कुछ स्थानों पर यह गहराई देखने को मिलती है। उत्तर दिशा की नर्सरियां भी पुष्कर की प्रसिद्धि बढ़ाने में विशेष सहायक रही हैं।

वास्तुशास्त्र के सिद्धांत अनुसार उत्तर दिशा की नीचाई प्रसिद्धि दिलवाती है और यदि यहां बढ़ाव भी हो तो वह जगह और अधिक प्रसिद्ध हो जाता है। दुनिया में सातों आश्चर्य सहित जितने भी प्रसिद्ध स्थान हैं, उन सभी की उत्तर दिशा में किसी न किसी तरह की नीचाई अवश्य देखने को मिलती है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार पुष्कर की स्थापना ब्रह्माजी द्वारा हुई है। अतः यहां ब्रह्मा जी के मंदिर का विशेष महत्त्व है। ब्रह्मा जी का मंदिर पुष्कर सरोवर से थोड़ी दूरी पर पश्चिम दिशा में स्थित है। इसमें प्रवेश करने के लिए संगमरमर निर्मित लगभग 50-60 सीढि़यां चढ़नी पड़ती हैं। मंदिर के प्रांगण में दाहिनी ओर तथा बांई ओर संगमरमर के दो सुन्दर गजराजों पर इंद्र और कुबेर की प्रतिमाएं हैं।

- वास्तु गुरू कुलदीप सलूजा

thenebula2001@yahoo.co.in


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