अक्षय तृतीया: कम प्रयास में ज्यादा से ज्यादा सफलता प्राप्ती का दिन

punjabkesari.in Monday, Apr 20, 2015 - 07:49 AM (IST)

जिसका कभी क्षय न हो उसे ''अक्षय'' कहते हैं। अंकों में विषम अंकों को विशेष रूप से ''3'' को अविभाज्य यानी ''अक्षय'' माना जाता है। तिथियों में शुक्ल पक्ष की ''तीज'' यानी तृतीया को विशेष महत्व दिया जाता है लेकिन वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को समस्त तिथियों से अधिक विशेष स्थान प्राप्त है।

''अक्षय तृतीया'' के रूप में प्रख्यात वैशाख शुक्ल तीज को स्वयं सिद्ध मुहुर्तों में से एक माना जाता है। पौराणिक मान्यता है की इस तिथि में आरंभ किए गए कार्यों को कम से कम प्रयास में ज्यादा से ज्यादा सफलता प्राप्त होती है।

पद्म पुराण के अनुसार इस दिन व्यापक फल प्राप्त होते हैं। भौतिकता के अनुयायी इस काल को स्वर्ण खरीदने का श्रेष्ठ काल मानते हैं। इसके पीछे शायद इस तिथि की ''अक्षय'' प्रकृति ही मुख्य कारण है। इस काल के दौरान घर में स्वर्ण लाएंगे तो अक्षय रूप से स्वर्ण आता रहेगा। अध्ययन अथवा अध्ययन का आरंभ करने के लिए यह काल सर्वश्रेष्ठ है।

यदि अक्षय तृतीया सोमवार या रोहिणी नक्षत्र को आए तो इस दिवस की महत्ता हजारों गुणा बढ़ जाती है। इस दिन प्राप्त आशीर्वाद बेहद तीव्र फलदायक माने जाते हैं। भविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि की गणना युगादि तिथियों में होती है। सतयुग, त्रेता और कलयुग का आरंभ इसी तिथि को हुआ और इसी तिथि को द्वापर युग समाप्त हुआ था।

रेणुका के पुत्र परशुराम और ब्रह्मा के पुत्र अक्षय कुमार का प्राकट्य इसी दिन हुआ था। इस दिन श्वेत पुष्पों से पूजन कल्याणकारी माना जाता है। धन और भौतिक वस्तुओं की प्राप्ति तथा भौतिक उन्नति के लिए इस दिन का विशेष महत्व है। धन प्राप्ति के मंत्र, अनुष्ठान व उपासना बेहद प्रभावी होते हैं। स्वर्ण, रजत, आभूषण, वस्त्र, वाहन और संपत्ति के क्रय के लिए मान्यताओं ने इस दिन को विशेष बताया और बनाया है। बिना पंचांग देखे इस दिन को श्रेष्ठ मुहुर्तों में शुमार किया जाता है।

ज्योतिषी पं. सोमेश्वर जोशी

someshjoshimca@gmail.com

 


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