सरल एवं प्रभावकारी उपाय: विद्या-बुद्धि, स्मरणशक्ति में वृद्धि के लिए

punjabkesari.in Monday, Apr 06, 2015 - 08:03 AM (IST)

ज्योतिष किसी भी जातक की बुद्धि-विद्या-व्यवसाय के प्रति सनातन काल से मार्गदर्शन करता आ रहा है। वेद वाणी है और यह ज्योतिष का अर्थ ही है ज्योति-प्रकाश।

किसी भी जन्म कुंडली के चौथे-पांचवें भाव का संबंध बुद्धि एवं विद्या से होता है। दूसरा भाव धन का, नवम भाग्य, दसवां कर्म, ग्यारहवां लाभ का भाव होता है। जातक की विद्या व्यवसाय धनोर्पाजन के लिए इन्हीं भावों का, भावों के स्वामी ग्रहों का, भावों में जन्म कालीन स्थित ग्रहों का अति गहनता से निरीक्षण करने के बाद भविष्य का कथन कहा जाता है।
 
यदि जन्म लग्र वृष, कुंभ हो तो पंचम भाव में कन्या, मिथुन राशि आएगी। जिसका स्वामी ग्रह बुध है। बुध उपरोक्त शुभ भावों में अकेला बैठा हो शुभ ग्रहों के साथ दृष्टि हो तो ऐसा जातक विलक्षण बुद्धि वाला समझदार, अच्छी विद्या प्राप्त करने वाला ज्ञानी होता है। बृहस्पति पंचम भाव (स्थान) में हो और बुध दोषमुक्त हो तो भी विद्या अच्छी  प्राप्त होती है।
 
यदि पंचमेश (पांचवें भाव की राशि का स्वामी ग्रह) अस्त हो या नीच राशि गत हो, शत्रु ग्रहों द्वारा दृष्टित हो, छठे, आठवें, बारहवें भाव में हो तो जातक की बुद्धि न्यून होती है। बुध पांचवें घर में कन्या (6) का गुरु के साथ बैठा हो चौथे, छठे भाव में कोई ग्रह न हो तो ऐसा जातक राजातुल्य होता है। राहू अगर केंद्र में अथवा बारहवें भाव में आ जाए तो विद्याध्ययन में रुकावट, बुध-शुक्र की युति हो और दसवें निर्दोष हो, ऐसा जातक विदेश में अथवा बाहर अच्छे विद्यालय में विद्या प्राप्त करता है। 
 
प्रतिकूल ग्रह स्थिति अथवा दशांतर में अथवा विद्यार्थियों की विद्या-बुद्धि, स्मरणशक्ति में वृद्धि के लिए उपाय सुझाव जो अति सरल एवं प्रभावकारी हैं।
 
1. गणेश जी की आराधना : नित्य घास के सात तिनके ॐ गं गणपतयै नम: कह कर चढ़ाएं। बुधवार को बेसन के लड्डू चढ़ाएं। उपरोक्त मंत्र का जाप करें।
 
2. ॐ ऐं-ऐं-नम: का जाप करें।

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