संसार की पहली रामायण को सबसे पहले किस ने सुना

punjabkesari.in Wednesday, Jan 07, 2015 - 05:19 AM (IST)

धरती पर जहां भी राम कथा होती है हनुमान जी वहां किसी न किसी रूप में विराजमान रहते हैं। हनुमान जी भगवान शिव के अवतार हैं। जो राम कार्य के निमित्त हनुमान रूप में अवतरित हुए। तुलसीदास जी ने हनुमान जी के सान्निध्य से ही रामायण पूर्ण की थी। अध्यात्म रामायण संसार की पहली रामायण है। भगवान शिव ने सबसे पहले यह कथा माता पार्वती को सुनाई थी।

उस समय यह कथा एक कौवे ने सुनी। उसी कौवे का अगला जन्म काकभुशुण्डि के रूप में हुआ। काकभुशुण्डि को पूर्व जन्म में भगवान शिव से सुनी राम कथा संपूर्ण कण्ठस्थ थी। उन्होने यह कथा अपने शिष्यों को सुनाई। इस प्रकार राम कथा का प्रचार हुआ। तुलसीदास की रामायण का आधार भी यही अध्यात्म रामायण है।

नीलांचल पर महात्मा काकभुशुण्डि जी नेे सत्ताईस कल्प व्यतित किए। वहां वह सदा भगवान श्री राम का ध्यान, जाप के साथ नियमित रूप से प्रभु की लीला कथा का गुणगान करते थे। जिसे श्रेष्ठ राज हंस आदर पूर्वक सुनते और भगवान शंकर को इस स्थान पर आ कर विशेष आनंद प्राप्त होता। भगवान शंकर ने स्वयं अपने मुख से महात्मा काकभुशुण्डि जी के आश्रम का वर्णन करते हुए कहा है

जब मैं जाइ सो कौतुक देखा।
उप उपजा आनंद बिसेषा।
तब कछु मराल तनु धरि तह कीन्ह निवास।
साजर सुनि रघुपति गुन पननि आयउ कैलास।।


हनुमदुपनिषद् के अनुसार अज्ञान से त्रस्त व्यक्ति जब हनुमान जी की शरण में भक्ति भाव से लग जाता है तब उन्हीं की कृपा से व्यक्ति को ज्ञान गुण और आत्मविश्वास प्राप्त हो जाते हैं। हनुमान जी का संवेग उनके धर्म पिता वायु देव के समान है और रफ्तार में वह गरुड़ देवता के समान हैं। उत्तर दिशा के स्वामी कुबेर देव की गदा का आशीर्वाद सदैव आप पर बना रहता है जिससे अधर्म करने वाले को यह सदैव दण्ड देते हैं।

जीवन में किसी भी तरह की सफलता हासिल करने के लिए हनुमान जी की गदा का पूजन करें।

गंभीर से गंभीर रोग में हनुमान जी के हाथ में संजीवनी का पहाड़ लिए श्री स्वरूप और सुषेण वैद्य का सच्ची भावना से स्मरण करें।
 


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