Aparajita Puja 2021: ये है दुश्मन पर जीत हासिल करने का विजय मुहूर्त

punjabkesari.in Wednesday, Oct 13, 2021 - 11:08 AM (IST)

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2021 Aparajita Puja date and time: दशहरा अश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। यह नवरात्र खत्म होते ही अगले दिन आने वाला त्योहार है। 2021 में 15 अक्टूबर शुक्रवार के दिन यह मनाया जाएगा। पुराणों के अनुसार रावण पर भगवान श्री राम की जीत के उपलक्ष्य में विजयदशमी का ये त्योहार मनाया जाता है। आज के दिन अपना कोई खास काम करने से आपकी जीत सुनिश्चित होती है। आपको बता दूं कि विजयदशमी के दिन दोपहर 02 बजकर 01 मिनट से लेकर 02 बजकर 47 मिनट तक विजय मुहूर्त रहेगा। इस बीच आप कोई भी कार्य करके अपनी जीत सुनिश्चित कर सकते हैं। 

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Dussehra 2021: दशहरा यानी आयुध-पूजा हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। व्यक्ति और समाज के रक्त में वीरता प्रकट हो इसलिए दशहरे का उत्सव रखा गया है। दशहरे के इस पर्व को विजयादशमी भी कहा जाता है, इसे जश्न का त्यौहार कहते हैं। आज के वक्त में यह बुराई पर अच्छाई की जीत का ही प्रतीक है। बुराई किसी भी रूप में हो सकती है जैसे क्रोध, असत्य, बैर, ईर्ष्या, दुःख, आलस्य आदि किसी भी आतंरिक बुराई को ख़त्म करना भी एक आत्म विजय है और हमें प्रति वर्ष अपने में से इस तरह की बुराई को खत्म कर विजय दशमी के दिन इसका जश्न मनाना चाहिये, जिससे एक दिन हम अपनी सभी इन्द्रियों पर नियंत्रण कर सकें।

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Aparajita puja vidhi ऐसे करें देवी अपराजिता की पूजा
विजयदशमी के दिन देवी अपराजिता की पूजा करने का विधान है। आज के दिन अपराजिता की पूजा से साल भर तक कार्यों में जीत हासिल होती है और किसी भी काम में रूकावट नहीं आती। वास्तु विज्ञान के अनुसार विजयदशमी के दिन दोपहर बाद घर के ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा को अच्छे से साफ करके, गंगा जल का छींटा देकर उसके ऊपर चंदन के लेप से आठ पत्तियों वाला कमल का फूल बनाना चाहिए और संकल्प करना चाहिए-

Aparajita mantra: “मम सकुटुम्बस्य क्षेम सिद्धयर्थे अपराजिता पूजनं करिष्ये”

अगर आप ये मंत्र न पढ़ पायें, तो आपको इस प्रकार कहना चाहिए कि हे देवी - मैं अपने परिवार के साथ अपने कार्य को सिद्ध करने के लिये और विजय पाने के लिये आपकी पूजा कर रहा हूं। इस प्रकार कहकर उस कमल की आकृति के बीच में अपराजिता का पौधा रखना चाहिए। पूजा के समय सूती, रेशमी या ऊनी कपड़े से बने आसन का इस्तेमाल करें। इससे आपको सौभाग्य और लक्ष्मी की प्राप्ति होगी।

How is vijayadashami celebrated: आज के दिन राजाओं की तरह सुख भोग रहे व्यक्तियों को चाहे वह देश के प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मंत्रियों और उच्चाधिकारियों को अपनी प्रजा के लिये, हर मोर्चे पर अपने देश की विजय के लिये और देश की तरक्की के लिये अपराजिता की पूजा करनी चाहिए और ये संकल्प लेना चाहिए।

“मम सकुटुम्बस्य यात्रायां विजय सिद्धयर्थमपरा”

इसके बाद अपराजिता की दाहिनी ओर जया और बायीं ओर विजया शक्ति का आह्वाहन करना चाहिए। इसके बाद तीनों को प्रणाम करते हुए क्रमशः ये कहना चाहिए-

‘अपराजितायै नमः,‘जयायै नमः, ‘विजयायै नमः’।

इस तरह मंत्र कहते हुए उनकी षोडशोपचार यानी 16 उपचारों के साथ पूजा करनी चाहिए और प्रार्थना करनी चाहिए- ‘हे
देवी, यथाशक्ति जो पूजा मैंने अपनी रक्षा के लिये की है, उसे स्वीकार कीजिए।'

इस प्रकार देवी मां से अपने स्थान पर वापस जाने का आग्रह करें। जबकि राजा के संदर्भ में धर्मशास्त्र का इतिहास चतुर्थ भाग के पृष्ठ 71 पर अलग तरह से प्रार्थना बतायी गयी है। वर्तमान समय में राजा की जगह प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और अन्य उच्चाधिकारी ये प्रार्थना कर सकते हैं -‘वह अपराजिता जिसने कण्ठहार पहन रखा है, जिसने चमकदार सोने की मेखला यानी करधनी पहन रखी है, जो अच्छा करने की इच्छा रखती है, मुझे विजय दे।... इस प्रकार प्रार्थना के बाद देवी का विसर्जन करना चाहिए।

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Navratri Dussehra 2021: इस दिवस को मनाने की मान्यता सबकी अलग-अलग होती है, जैसे किसानो के लिए यह नयी फसलों के घर में आने का जश्न है। पुराने वक़्त में इस दिन औजारों एवं हथियारों की पूजा की जाती थी क्योंकि वे इसे युद्ध में मिली जीत के जश्न के तौर पर देखते थे लेकिन इन सबके पीछे एक ही कारण होता है बुराई पर अच्छाई की जीत। किसानो के लिए यह मेहनत की जीत के रूप में आई फसलो का जश्न एवं सैनिको के लिए युद्ध में दुश्मन पर जीत का जश्न है। आज के दौर में हमे ऊपर दिए गए विजय मुहूर्त में अपने औज़ारों व हथियारों को साफ करके पूजा-अर्चना करनी चाहिए ताकि उनके द्वारा हम अपने-अपने कार्यक्षेत्रों में विजय प्राप्त कर सकें।

Sanjay Dara Singh
AstroGem Scientists
LLB., Graduate Gemologist GIA (Gemological Institute of America), Astrology, Numerology and Vastu (SSM).

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Content Writer

Niyati Bhandari

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