Anant Chaturdashi 2022: पढ़ें, गणपति विसर्जन का शुभ मुहूर्त और शास्त्रीय विधि
punjabkesari.in Thursday, Sep 08, 2022 - 07:46 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Ganesha Visarjan 2022: भगवान गणेश के जन्मोत्सव को पूरे 10 दिन तक मनाया जाता है। सनातन धर्म में गणपति को प्रथम पूजनीय माना जाता है और उनकी पूजा सभी देवताओं से पहले की जाती है। गणेशोत्सव का समापन गणपति विसर्जन से होता है। लोग पूरे 10 दिनों तक गणपति का पूजन भक्ति भाव से करते हैं और उन्हें 11 वें दिन यानी अनंत चतुर्दशी के दिन विसर्जित कर देते हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि गणपति जी का विसर्जन सही विधि से किया जाता है तो घर में पूरे साल समृद्धि बनी रहती है। जानते हैं कि इस बार अनंत चतुर्दशी कब है और गणपति के विसर्जन का शुभ मुहूर्त क्या है, साथ ही इस दिन छप्पन भोग का महत्व भी जानें। 9 सितम्बर को गणपति जी का विसर्जन होगा और इसी दिन अनंत चतुर्दशी भी होगी।
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Ganesh Visarjan 2022 Muhurat राहुकाल में न करें विसर्जन
अनंत चतुर्दशी के दिन शुभ मुहूर्त पर ही विसर्जन करना चाहिए। वहीं राहुकाल में भूलकर भी गणपति विसर्जन नहीं करना चाहिए।
Ganesh Visarjan Shubh Muhurat गणपति विसर्जन के लिए मुहूर्त
प्रात:काल मुहूर्त : 6.05 से 10.45 तक, इसमें चर, लाभ और अमृत के चौघड़िया होंगे।
अपराह्न मुहूर्त : 12.18 से 1.52 तक चौघड़िए में विसर्जन।
शाम में मुहूर्त : 5.00 से 6.31 तक चर का चौघड़िया रहेगा।
रात्रि मुहूर्त : 9.26 से 10.52 तक लाभ के चौघड़िए में विसर्जन।
रात्रि काल में शुभ अमृत और चर के चौघड़िया में विसर्जन 10 सितम्बर 12.19 से 4.36 तक विसर्जन कर सकते हैं।
रंग-गुलाल उड़ाते हुए विसर्जन
विसर्जन बप्पा की विदाई दिन होता है। रंग-गुलाल उड़ाते हुए बप्पा की धूमधाम से विदाई की जाती है और गीत गाए जाते हैं। गणपति विसर्जन जल कुंड में करने का विधान है लेकिन इसे घर पर भी किया जा सकता है।
Ganesh Visarjan Puja Vidhi गणपति विसर्जन पूजा विधि
विसर्जन के लिए सबसे पहले एक लकड़ी के पाट में पीला या लाल रंग का कपड़ा बिछा लें फिर इसमे स्वास्तिक बनाएं। पाट में अक्षत फूल रखकर गणपति की मूर्ति रखें। बप्पा की मूर्ति की विधिवत पूजा करें। फल-फूल अर्पित करें और मोदक का भोग लगाएं। सभी लोग मिलकर बप्पा की आरती करें। गणपति की प्रतिमा और पूजा से जुड़ी चीजों का सम्मान पूर्वक विसर्जन करें। इसके बाद क्षमा प्रार्थना करते हुए बप्पा से अगले बरस आने की कामना करें।
56 bhog and Ganesh Visarjan Puja छप्पन भोग के साथ पूजा
जिनके लिए सम्भव हो, वे गणपति जी को विसर्जित करने से पूर्व छप्पन प्रकार का भोग जरूर लगाएं। छप्पन भोग लगाने का मतलब होता है आप प्रभु का आदर-सत्कार कर रहे हैं और उनके समक्ष उनकी ही पसंद की चीजें अर्पित कर रहे हैं। कड़वा, तीखा, कसैला, अम्ल, नमकीन और मीठा, ये 6 रस या स्वाद होते हैं। इन 6 रसों के मेल से अधिकतम 56 प्रकार के खाने योग्य व्यंजन बनाए जा सकते हैं, इसलिए छप्पन भोग का मतलब है वह सभी प्रकार का खाना, जो हम भगवान को अर्पित कर सकते हैं।
56 Name of Chhappan Bhog छप्पन भोग में शामिल व्यंजनों के नाम
1. भक्त (भात), 2. सूप (दाल), 3. प्रलेह (चटनी), 4. सदिका (कढ़ी), 5. दधिशाकजा (दही शाक की कढ़ी), 6. सिखरिणी (सिखरन), 7. अवलेह (शरबत), 8. बालका (बाटी), 9. इक्षु खेरिणी (मुरब्बा), 10. त्रिकोण (शर्करा युक्त), 11. बटक (बड़ा), 12. मधु शीर्षक (मठरी), 13. फेणिका (फेनी), 14. परिष्टाश्च (पूरी), 15. शतपत्र (खजला), 16. सधिद्रक (घेवर), 17. चक्राम (मालपुआ), 18. चिल्डिका (चोला), 19. सुधाकुंडलिका (जलेबी), 20. धृतपूर (मेसू), 21. वायुपूर (रसगुल्ला), 22. चन्द्रकला (पगी हुई), 23. दधि (महारायता), 24. स्थूली (थूली), 25. कर्पूरनाड़ी (लौंगपूरी), 26. खंड मंडल (खुरमा), 27. गोधूम (दलिया), 28. परिखा, 29. सुफलाढ़या (सौंफ युक्त), 30. दधिरूप (बिलसारू), 31. मोदक (लड्डू), 32. शाक (साग), 33. सौधान (अधानौ अचार), 34. मंडका (मोठ), 35. पायस (खीर) 36. दधि (दही), 37. गोघृत, 38. हैयंगपीनम (मक्खन), 39. मंडूरी (मलाई), 40. कूपिका, 41. पर्पट (पापड़), 42. शक्तिका (सीरा), 43. लसिका (लस्सी), 44. सुवत, 45. संघाय (मोहन), 46. सुफला (सुपारी), 47. सिता (इलायची), 48. फल, 49. तांबूल, 50. मोहन भोग, 51. लवण, 52. कषाय, 53. मधुर, 54. तिक्त, 55. कटु, 56. अम्ल।