Ahoi Ashtami 2024: 5 शुभ योगों में पड़ रही है अहोई अष्टमी ? शुभ मुहूर्त में इस विधि से करें पूजा

punjabkesari.in Wednesday, Oct 23, 2024 - 07:10 AM (IST)

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Ahoi Ashtami 2024: हिंदू धर्म में अहोई अष्टमी का व्रत बेहद शुभ माना जाता है। हिंदू पंचांग में अहोई अष्टमी का व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन रखा जाता है। इस दिन माएं अपनी संतान की सलामती के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और माता पार्वती के स्वरूप अहोई मां की पूजा भी करती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान की लंबी आयु और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन चंद्रमा और तारों की पूजा-अर्चना करने का विधान है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार अहोई अष्टमी के दिन 05 शुभ योगों का भी निर्माण हो रहा है। जिस वजह से ये दिन और भी महत्वपूर्ण हो गया है। साल 2024 में अहोई अष्टमी का व्रत कब है ? पूजन मुहूर्त, शुभ योग और इस व्रत की सटीक विधि तो आईए जानते हैं...

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Ahoi Ashtami shubh muhurat अहोई अष्टमी शुभ मुहूर्त: हिंदू पंचांग के अनुसार अहोई अष्टमी तिथि की शुरुआत गुरुवार 24 अक्टूबर रात 01 बजकर 18 मिनट पर हो रही है और इसका समापन दिन शुक्रवार 25 अक्टूबर को रात 01 बजकर 58 मिनट पर होगा। उदय तिथि को देखते हुए अहोई अष्टमी का व्रत गुरुवार 24 अक्टूबर को रखा जाएगा। इस दिन की पूजा का समय शाम 5 बजकर 42 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 59 मिनट तक का है।

इस बार अहोई अष्टमी पर साध्य योग, पुष्य नक्षत्र, गुरु पुष्य योग, अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं। इन 5 शुभ संयोगों के कारण अहोई अष्टमी का दिन और भी अधिक शुभ फलदायी और महत्वपूर्ण है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अहोई अष्टमी का व्रत रखने से पुत्र की आयु बढ़ती है, वह निरोगी रहता है। उसके जीवन में सुख और समृद्धि आती है। अहोई माता की कृपा से उसका जीवन सुरक्षित होता है। अहोई अष्टमी का व्रत अष्टमी के सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक रखा जाता है। शाम को तारों को देखकर पारण करते हैं और व्रत को पूरा करते हैं। ऐसे में इस दिन तारा उदय समय शाम 06 बजकर 06 मिनट से है। इसके बाद से आप तारों को अर्ध्य देकर व्रत खोल सकती हैं।

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Ahoi Ashtami puja vidhi अहोई अष्टमी व्रत की पूजन विधि
अहोई अष्टमी के दिन सुबह उठकर स्नान करें। फिर इसके बाद लाल रंग के कपड़े पहनें। मन से व्रत का संकल्प लें। इस दिन निर्जला व्रत रखा जाता है। मंदिर में पूजा की जगह पर अहोई माता का चित्र और प्रतिमा स्थापित करें या बनाएं। शाम को अहोई मां की पूजा करें। उनको कुमकुम लगाएं और लाल व फूल अर्पित करें। माता को 16 शृंगार की सामग्री अर्पित करें। मां के सामने घी का दीपक जलाएं और पूड़ी, हलवा का भोग लगाएं। आखिर में कथा पढ़ें और आरती करें। चांद को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें। पूजा के बाद क्षमा-प्रार्थना करें और ''ॐ पार्वतीप्रियनंदनाय नमः'' का 108 बार जाप करें।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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