अधिक मास 2020: पुण्य प्राप्ति के लिए कर रहे हैं बढ़-चढ़कर दान-दक्षिण तो 1 बार पढ़ लें ये

punjabkesari.in Friday, Oct 02, 2020 - 11:49 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
सनातन धर्म में दान करने का अधिक महत्व है. कहा जाता है दान करने से एक नहीं बल्कि अनेक प्रकार के फायदे होते हैं। दान करने से भगवान को प्रसन्न करने से लेकर कुंडली में मौज़ूद ग्रहों के अशुभ प्रभाव को शुभ में बदला जा सकता है। इन्हीं सभी प्रचलित मान्यताओं के कारण ही कि हर कोई कोशिश करता है कि वो अपनी क्षमता के अनुसार दान करें। मगर क्या आप में से कोई ये जानता है कि दान के एकमात्र कौन से देवता हैं। जी हां, आप में से लगभग लोग इस बात से आज तक अंजान होंगे। तो चलिए हमेशा की तरह हम आपको अपनी वेबसाइट के माध्यम से ये जानकारी देते हैं कि आखिर भारतीय संस्कृति में दान के देवता किन्हें कहा गया है। क्योंकि शास्त्रों में ऐसा वर्णन किया गया है कि किसी भी दान करने वाले व्यक्ति के लिए ये जानना बेहद आवश्यक होता है कि दान के देवता कौन हैं।  
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धार्मिक किंवदंतियों के अनुसार दान का महत्व सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। कुछ लोगों के अनुसार दान का मतलब केवल किसी को कुछ देने से या लेने से है। मगर अगर धार्मिक ग्रंथों में किए वर्णन पर एक दृष्टि डालें तो इसमें कहा गया है कि दान को स्वीकार करना प्रतिग्रहण है। अगर बात करें पुरुषोत्तम मास की तो इसके अधिपति देव भगवान नारायण हैं, अतः जिन कामों के कोई देवता शास्त्रों में नहीं बताए गए, उनका दान भगवान विष्णु तो मानकर कर दिया जाता है।

सनातन धर्म के लगभग प्रत्येक ग्रंथ में जप, तप, दान और यज्ञ का बड़ा महत्व माना गया है। साथ ही साथ ग्रहों का दान, गौ दान, कन्या दान, सोना-चांदी, खाने-पीने की वस्तुएं तथा दवा-औषधि आदि का दान बहुत ही लाभदायी और महापुण्‍यकारी माना जाता है। दान के संबंध में खास तौर पर सोना-चांदी, गौ दान तथा कन्या दान को हमारे शास्त्रों ने दान की श्रेष्ठ श्रेणी में रखा है। 
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यहां जानें आइए जानें कैसे दें दान और कौन हैं इनके देवता-

बताया जाता है कि दान में जो चीज़ दी जाती हैं, उसके अलग-अलग देवता होते हैं-

सोने के देवता अग्नि देव को माना जाता है, दास के प्रजापति हैं।

गाय के देवता रूद्र कहलाते हैं।

जैसे की हमने आपको उपरोक्त भी बताया गया कि जिन कार्यों के कोई देवता न हो, उनका दान श्रीविष्णु को देवता मानकर किया जाता है।
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दान की दक्षिणा :
किसी को भी दान करने से पहले उसके हाथ पर 'जल' ज़रूर गिराएं।

चाहे कोई वस्तु का जान करें, या अन्य किसी चीज़ का, ध्यार रहे दान लेने वाले को 'दक्षिणा' अवश्य दें।

अगर प्राचीन समय की बात करें तो बहुत से लोग सोने की वस्तुओं का दान करते थे, परंतु अगर सोने का दान न कर सकें, तो उसकी जगह चांदी भी दान कर सकते हैं। 

इसके अलावा दान करते समय इन मंत्रों का करें जप-

गोवर्धनधरं वन्दे गोपालं गोपरूपिणम्।
गोकुलोत्सवमीशानं गोविन्दं गोपिकाप्रियम्।। 


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Jyoti

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