चीन में उईगर महिलाओं का होता है जबरन गर्भपात

punjabkesari.in Monday, Jun 07, 2021 - 12:19 PM (IST)

55 वर्षीय बमरियम रोजी एक जनजातीय उईगर है जो चीन से भाग कर तुर्की पहुंची है। 4 बच्चों की मां  रोजी ने अपने घर इस्तांबुल में बताया कि वह उन 3 महिलाओं में एक है जिन्हें जबरन गर्भपात करवाने के लिए मजबूर किया गया। इसके अलावा चीन के पश्चिमी शिनजियांग क्षेत्र में चीनी प्रशासन द्वारा उन्हें प्रताडि़त किया गया।

 

रोजी ने पीपल्ज ट्रिब्यूनल को बताया कि शिनजियांग में चीनी प्रशासन ने अन्य गर्भवती महिलाओं के साथ उसे भी अपने 5वें बच्चे को जन्म न देने के लिए 2007 में मजबूर किया। रोजी ने बताया कि वह 6.5 माह की गर्भवती थी। रोजी की कहानी के दो अन्य गवाह भी हैं जिसमें एक पूर्व डाक्टर है जो चीन की जन्म नियंत्रण नीतियों के बारे में बताते हैं। इसके अलावा एक अन्य व्यक्ति भी है जिसके अनुसार उसे चीनी सैनिकों द्वारा दिन और रात प्रताडि़त किया गया। वह एक दूर-दराज सीमावर्ती क्षेत्र में कैद था।


स्वतंत्र यू.के. ट्रिब्यूनल के साथ एक वीडियो लिंक के माध्यम से इन सबने अपने अनुभवों को सांझा किया। शुक्रवार को 4 दिनों की सुनवाई के बाद दर्जनों गवाहों के गवाही देने की आशा है। ट्रिब्यूनल को यू.के. सरकार का समर्थन नहीं है। इसकी अध्यक्षता प्रख्यात मानवाधिकार वकील जाफरी नाइस करते हैं। नाइस ने अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक कोर्ट के साथ काम करने के अलावा पूर्व सॢबयन राष्ट्रपति स्लोबोदान मिलोसेविक के अभियोग का नेतृत्व किया था। हालांकि ट्रिब्यूनल का निर्णय किसी भी सरकार को बाध्य नहीं करता मगर इसके आयोजक उम्मीद करते हैं कि सार्वजनिक तौर पर प्रस्तुत किए गए साक्ष्य अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई को बाध्य करेंगे जोकि शिनजियांग में उईगर मुसलमानों के खिलाफ होने वाले अत्याचारों से संबंधित हैं। उईगर एक बड़ा मुस्लिम संजातीय समूह है।


रोजी का कहना है कि उसने इस डर से अपना गर्भपात करवाया क्योंकि चीनी प्रशासन उसके घर तथा उसकी अन्य सम्पत्ति को जब्त कर सकता था। इसके अलावा उसके परिवार को भी बड़ा खतरा उत्पन्न हो गया था। उसने बताया कि पुलिस उसके घर में आई जिसमें एक उईगर तथा दो चीनी थे। उसके साथ-साथ वह अन्य 8 गर्भवती महिलाओं को कार में बिठाकर अस्पताल ले गए। सबसे पहले उन्होंने मुझे एक गोली लेने को कहा जिसको मैंने ले लिया। हालांकि मैं नहीं जानती थी कि यह गोली किस बीमारी के लिए है। आधे घंटे के बाद उन लोगों ने मेरे पेट में एक सूई चुभो दी और कुछ ही क्षणों में मैंने अपना बच्चा खो दिया।


सैमसीनूर गफूर जोकि एक पूर्व गायनीकॉलोजिस्ट हैं और जिन्होंने शिनजियांग में 1990 के दशक में एक गांव के अस्पताल में अपनी सेवाएं दी हैं, का कहना है कि उसे और अन्य महिला डाक्टरों को एक मोबाइल अल्ट्रासाऊंड मशीन के साथ घर-घर जाने को मजबूर किया गया ताकि यह जांचा जाए कि वहां पर कोई गर्भवती तो नहीं। अनुमति से ज्यादा यदि किसी के घर में ज्यादा बच्चे हैं तब उसका घर तोड़ दिया जाता है और उसे समतल बना दिया जाता है। गफूर का कहना है कि वहां पर हमारा ऐसा जीवन था। यह सब कुछ परेशान कर देने वाला था क्योंकि मैं एक सरकारी अस्पताल में कार्यरत थी इसलिए लोग मुझ पर विश्वास नहीं करते थे। उईगर लोग मुझे एक चीनी गद्दार के तौर पर देखते थे।


निर्वासित जीवन जीने वाले तीसरे उईगर का नाम महमूद तेवेकुल है और उसे 2010 से प्रताडि़त तथा जेल में रखा गया है। उससे उसके भाई के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए छानबीन की गई। चीनी प्रशासन द्वारा उसके भाई के बारे में इसलिए जांच-पड़ताल की जा रही है क्योंकि उसने अरबी भाषा में एक धार्मिक किताब को प्रकाशित किया। 


सवाल-जवाब किए जाने के दौरान चीनी अधिकारियों ने उसे बुरी तरह पीटा और उसके चेहरे पर चोट की। उसने आगे बताया कि चीनी अधिकारियों ने उन्हें एक फर्श पर बिठा दिया तथा उसके हाथ और पांव एक पाइप के साथ बांध दिए। यह एक गैस पाइप की तरह था। 6 सैनिक हमारी निगरानी में लगे हुए थे। सुबह तक इन लोगों ने हमसे पूछताछ की और उसके बाद हमें जेल में ले गए।  हालांकि पेइचिंग ने सीधे तौर पर इन आरोपों को खारिज किया है। चीन का कहना है कि ऐसे कैंप बंद हैं और वहां पर वोकेशनल ट्रेङ्क्षनग सैंटर चलाए जा रहे हैं जहां पर चीनी भाषा सिखाई जाती है। ट्रिब्यूनल का कहना है कि चीनी प्रशासन ने कार्रवाई में शामिल होने से इंकार कर दिया है। इस पर टिप्पणी करने के लिए लंदन में चीनी दूतावास ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
 


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