तीन महीनों में शेयर बाजार में ₹72 लाख करोड़ की रिकॉर्ड रैली, लेकिन वैल्यूएशन पर मंडरा रहा खतरा
punjabkesari.in Tuesday, Jul 01, 2025 - 01:35 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः भारतीय शेयर बाजार ने बीते तीन महीनों में ऐतिहासिक रफ्तार पकड़ी है। सेंसेक्स ने 12,000 अंकों की छलांग लगाई है, जिससे बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण लगभग ₹72 लाख करोड़ बढ़कर ₹461 लाख करोड़ हो गया है। हालांकि, यह तेजी जितना लाभदायक रही है, उतनी ही चिंता का कारण भी बन गई है- खासकर उन निवेशकों के लिए जिनके पास नकदी पड़ी है या जो नए निवेश के लिए सही मौके की तलाश में थे। साथ ही तेजी ने वैल्यूएशन और फंडामेंटल्स के बीच गैप पैदा कर दिया है। एक्सपर्ट का कहना है कि मार्केट अपनी क्षमता से ज्यादा ऊपर हो गया, इसलिए वैल्यूएशन को लेकर खतरा है।
लिक्विडिटी ने चढ़ाई बाजार की सीढ़ी
- घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने करीब ₹3.5 लाख करोड़ का निवेश किया।
- विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने भी तीन महीनों से लगातार खरीदारी जारी रखी है।
- म्यूचुअल फंड्स के पास मई में ₹2.17 लाख करोड़ कैश उपलब्ध था, जबकि मासिक SIP फ्लो ₹26,000 करोड़ से अधिक रहा।
JM फाइनेंशियल के वेंकटेश बालासुब्रमण्यम के अनुसार, "यह रैली पूरी तरह लिक्विडिटी-ड्रिवन है।"
वैल्यूएशन बनाम फंडामेंटल्स: बढ़ा अंतर
बाजार की मौजूदा स्थिति ने वैल्यूएशन और फंडामेंटल्स के बीच खाई को गहरा कर दिया है। एनालिस्ट्स चेतावनी दे रहे हैं कि लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप सभी अपने औसत वैल्यूएशन से ऊपर ट्रेड कर रहे हैं। कोटक AMC के नीलेश शाह कहते हैं कि पिछले पांच सालों के रिटर्न अगले कुछ सालों में दोहराए जाने की चांसेज कम हैं। मार्केट अब फेयरली वैल्यूड या थोड़ा ओवरवैल्यूड है। रिटर्न अब अर्निंग्स ग्रोथ पर निर्भर करेगा, जो 8-12% के दायरे में रह सकता है। शाह निवेशकों को सलाह देते हैं कि वे इक्विटी के अलावा REITs, InvITs, डेट म्यूचुअल फंड्स, गोल्ड और ETFs में डायवर्सिफाई करें।
कहां मिल सकता है अवसर?
RBI द्वारा हाल ही में की गई दरों में कटौती और नकद आरक्षित अनुपात (CRR) में बदलाव ने बाजार में तरलता बढ़ाई है। जिसका सबसे ज्यादा फायदा फाइनेंशियल सेक्टर को हुआ है। क्वांटेस रिसर्च के कार्तिक जॉनगडला का कहना है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंशियर्स जैसे PFC और REC में अच्छा मौका है। PSU बैंक इंडेक्स भी छह महीने के हाई पर है।
सावधानी जरूरी, खासकर आगामी इवेंट्स से पहले
- 9 जुलाई की टैरिफ डेडलाइन और Q1 रिजल्ट सीजन से पहले सतर्कता जरूरी है।
- IT सेक्टर, जो इस साल अब तक सुस्त रहा, अब बेहतर डिविडेंड यील्ड (2–2.5%) और कम वैल्यूएशन के चलते निवेश के लायक बन रहा है।
- केमिकल सेक्टर में दो साल की गिरावट के बाद स्थिरता और संभावित रिकवरी दिख रही है।
- फार्मा और केमिकल जैसे एक्सपोर्ट-ओरिएंटेड सेक्टर में अमेरिकी टैरिफ को लेकर जोखिम बना हुआ है।