भारत में सफेद कॉलर नौकरियों में 32% की बढ़ोतरी, ग्रीन जॉब्स में 41% उछाल
punjabkesari.in Saturday, Feb 15, 2025 - 03:13 PM (IST)
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नई दिल्लीः भारत में सफेद कॉलर नौकरियों की मांग जनवरी 2025 में 32% साल-दर-साल बढ़ी, जिसका श्रेय सेमीकंडक्टर्स, ऊर्जा, अपशिष्ट प्रबंधन और विनिर्माण जैसे क्षेत्रों को दिया जा रहा है। foundit Insights Tracker की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, इस तेजी का कारण बढ़ती उपभोक्ता मांग, केंद्रीय बजट 2025-26 में दी गई रणनीतिक प्रोत्साहन योजनाएं और स्थिरता (सस्टेनेबिलिटी) पर बढ़ता जोर है।
ग्रीन जॉब्स में जोरदार उछाल
रिपोर्ट के अनुसार, बीते दो वर्षों में ग्रीन जॉब्स में 41% की वृद्धि हुई है, जिसका प्रमुख कारण स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं का विस्तार और वैश्विक नेट-ज़ीरो लक्ष्य हैं। बेंगलुरु, दिल्ली और पुणे इस क्षेत्र के प्रमुख हब के रूप में उभर रहे हैं, जहां एनर्जी ऑडिटिंग और स्थिरता रणनीति में विशेषज्ञता रखने वाले पेशेवरों की मांग बढ़ रही है।
2025 में ग्रीन जॉब्स की मांग में 11% और वृद्धि की संभावना है, जो नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहन (EV) और ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं में विस्तार से प्रेरित होगी। foundit के चीफ रेवेन्यू और ग्रोथ ऑफिसर प्रणय काले ने कहा, "भारत का जॉब मार्केट मजबूत गति से बढ़ रहा है, और प्रमुख उद्योगों में भर्ती तेजी से हो रही है। यात्रा, खुदरा और ग्रीन जॉब्स जैसे क्षेत्रों में निरंतर वृद्धि देखी जा रही है, जो उद्योग प्राथमिकताओं में बदलाव और व्यापारिक विश्वास को दर्शाता है।"
सरकार की नीतियों, खासतौर पर नवीकरणीय ऊर्जा और स्थिरता-केंद्रित उद्योगों के लिए बजट प्रावधान, इस भर्ती उछाल में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
यात्रा और खुदरा क्षेत्र में भी तेजी
यात्रा और पर्यटन क्षेत्र में जनवरी 2025 में 17% की वृद्धि दर्ज की गई, जिसका कारण उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग और सरकारी पहलों को माना जा रहा है। विमानन, लग्जरी पर्यटन और इको-टूरिज्म में नई नौकरियां आ रही हैं, और AI-आधारित यात्रा तकनीक में उभरते हुए नए जॉब रोल्स भी देखे जा रहे हैं।
खुदरा क्षेत्र (रिटेल) में भी 24% की साल-दर-साल बढ़ोतरी देखी गई, जो डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और उपभोक्ता खर्च में वृद्धि के कारण हुआ। इससे सप्लाई चेन मैनेजमेंट, ग्राहक अनुभव और AI-आधारित रिटेल एनालिटिक्स में कुशल पेशेवरों की मांग बढ़ी है।
टियर-2 शहरों में भी बढ़ रहे रोजगार के अवसर
अब नौकरी की यह बढ़ती मांग सिर्फ मेट्रो शहरों तक सीमित नहीं है। टियर-2 शहर भी रोजगार केंद्रों के रूप में उभर रहे हैं, जो भारत को भविष्य के लिए तैयार हरित (ग्रीन) अर्थव्यवस्था में बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत है।