उर्जित के लिए आसान नहीं होगी राह
punjabkesari.in Sunday, Aug 21, 2016 - 12:36 PM (IST)

नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक के नए गवर्नर उर्जित पटेल के लिए आने वाला समय काफी चुनौतियों भरा होगा। उनके सामने अभी तक रघुराम राजन के डिप्टी के रुप में लिए गए फैसलों को लागू कराने की जिम्मेदारी के साथ ही राजनैतिक नेतृत्व से तालमेल बनाने की बड़ी चुनौती होगी।
आने वाले समय में रुपए की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमत, नैशनल बैंक के डूबते ऋण को वसूलने, बैंकिंग सैक्टर को डिजिटिलाइजेशन की बड़ी जिम्मेदारी पहले से तय है। केंद्र सरकार ने ब्याज दरों के निर्धारण के गवर्नर के अधिकार में कटौती के लिए मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी गठित की है। यह कमेटेी भी उर्जित पटेल के पदभार संभालने के साथ ही अस्तित्व में आ जाएगी। ऐसे में उनकी चुनौतियां और बढ़ जाएंगी। रघुराम राजन की विदाई के साथ ही देश में रिजर्व बैंक के गवर्नर की कार्यप्रणाली में भी एक ऐतिहासिक बदलाव होने वाला है। अभी तक देश की मॉनेटरी पॉलिसी तय करने का अंतिम अधिकार गवर्नर का होता था लेकिन राजन से लगातार विवादों के चलते सरकार ने इस अधिकार में कटौती करने के लिए एक 6 सदस्यीय कमेटी बनाकर उसे यह अधिकार सौंप दिया है। मॉनेटरी पॉलिसी के तहत रिजर्व बैंक रेपो रेट व रिजर्व रेपो रेट तय किया जाता है। अभी तक आर.बी.आई. गवर्नर महंगाई नियंत्रित करने के लिए तिमाही आधार पर इन दरों को तय करते रहे हैं। उर्जित पटेल पहले गवर्नर होंगे जिन्हें यह अधिकार नहीं होगा।
पिछले कुछ समय में विकास की धीमी रफ्तार, परियोजनाओं के निर्माण में देरी तथा कई बड़े उद्यमियों के बिलफुट डिफाल्टर घोषित करने से बैंकों में एन.पी.ए. (नॉन परफार्मिंग असेट) एक साल में 96 फीसदी बढ़ गया है। जून 2015 में 39 अधिसूचित बैंकों का एन.पी.ए. 3.2 लाख करोड़ से बढ़कर जून 2016 में 6.3 लाख करोड़ पहुंच चुका है। डूबते ऋण की वसूली के लिए बैंकों को सख्त कदम उठाने के लिए जो दवाब राजन ने बनाया था उसे आगे बरकरार रखना उर्जित पटेल के लिए बढ़ी चुनौती होगी। रिजर्व बैंक गवर्नर के रुप में जल्द ही पटेल को डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत स्थिर रखने की भी आने वाली है। वर्ष 2013 में रुपए की कीमत गिरने पर तत्कालीन केंद्र सरकार ने फॉरेन करेंसी नॉन रेजीडेंट (एफ.सी.एन.आर.) से 3 साल के लिए जो डिपाजिट लिए थे वह इसी साल सितंबर नवंबर तक लौटाने होंगे।