फिर विवादों में घिरा देश का ये बड़ा बैंक, पूर्व CEO समेत टॉप अधिकारियों पर SEBI ने कर दी कार्रवाई
punjabkesari.in Thursday, May 29, 2025 - 12:22 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः इंडसइंड बैंक एक बार फिर विवादों के घेरे में है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने इनसाइडर ट्रेडिंग के गंभीर आरोपों के चलते बैंक के पूर्व सीईओ सुमंत कठपालिया समेत पांच वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। सेबी ने इन सभी पर शेयर बाजार में ट्रेडिंग पर प्रतिबंध लगाते हुए बैंक खातों को भी फ्रीज कर दिया है। इसके अलावा, इन पर 19.7 करोड़ रुपए के अवैध लाभ को जब्त करने का भी आदेश दिया गया है।
क्यों की गई यह कार्रवाई?
सेबी की यह कार्रवाई 10 मार्च 2025 को इंडसइंड बैंक द्वारा 1,529 करोड़ रुपए के डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में गड़बड़ी के खुलासे के बाद शुरू हुई जांच का परिणाम है। इसके तुरंत बाद बैंक के शेयरों में करीब 27% की तेज गिरावट आई थी। SEBI ने स्वतः संज्ञान लेते हुए जांच शुरू की और पाया कि कुछ वरिष्ठ अधिकारी अंदरूनी जानकारी का दुरुपयोग कर शेयरों में गैरकानूनी ट्रेडिंग कर रहे थे।
किन अधिकारियों पर गिरी गाज?
सेबी के आदेश के दायरे में आने वाले 5 वरिष्ठ अधिकारी हैं:
- सुमंत कठपालिया – पूर्व सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर
- अरुण खुराना – पूर्व कार्यकारी निदेशक और डिप्टी सीईओ
- सुशांत सौरव – प्रमुख, ट्रेजरी ऑपरेशंस
- रोहन जथन्ना – जीएमजी ऑपरेशंस हेड
- अनिल मार्को राव – मुख्य प्रशासनिक अधिकारी
इन सभी पर अगले आदेश तक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी प्रकार की सिक्योरिटीज में ट्रेडिंग से प्रतिबंध लगा दिया गया है।
21 दिन में देना होगा जवाब
SEBI के पूर्णकालिक सदस्य कमलेश चंद्र वार्ष्णेय द्वारा जारी अंतरिम आदेश में कहा गया है कि सभी आरोपित अधिकारियों को यह आदेश मिलने की तारीख से 21 दिनों के भीतर अपना स्पष्टीकरण या आपत्ति दर्ज करनी होगी। इसके बाद ही मामले में आगे की कार्यवाही तय होगी।
बाजार पर पड़ सकता है असर
सेबी की इस कार्रवाई का असर इंडसइंड बैंक के शेयरों पर साफ दिख सकता है। बुधवार को स्टॉक में 1.93% की गिरावट दर्ज की गई और यह ₹804.90 पर बंद हुआ। बैंक का मार्केट कैपिटलाइजेशन भी घटकर अब ₹62,670 करोड़ रह गया है। बीते 6 महीनों में इसके शेयर में 20% और एक साल में करीब 45% की गिरावट आ चुकी है।
क्या होता है इनसाइडर ट्रेडिंग?
इनसाइडर ट्रेडिंग या भेदिया कारोबार उस स्थिति को कहते हैं जब कोई व्यक्ति, जिसे कंपनी की अप्रकाशित मूल्य संवेदनशील जानकारी (UPSI) का पहले से पता होता है, इसका इस्तेमाल कर शेयरों की खरीद-फरोख्त करके अनुचित लाभ कमाता है। ऐसे मामलों को बाजार की पारदर्शिता और निष्पक्षता के खिलाफ माना जाता है और SEBI द्वारा सख्त दंडात्मक कार्रवाई की जाती है।