कर्ज में डूबी दुनिया, हर व्यक्ति पर 36 लाख रुपए का बोझ!

punjabkesari.in Friday, Sep 26, 2025 - 01:44 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः दुनिया की अर्थव्यवस्था कर्ज के एक बड़े संकट पर खड़ी नजर आ रही है। इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल फाइनेंस (IIF) की तिमाही रिपोर्ट के अनुसार, दूसरी तिमाही के अंत तक ग्लोबल कर्ज 337.7 ट्रिलियन डॉलर यानी लगभग 30 हजार लाख करोड़ रुपए के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। अगर इस कर्ज को दुनिया की कुल आबादी 8.24 अरब में बराबर बांट दिया जाए, तो हर व्यक्ति पर करीब 36.34 लाख रुपए का कर्ज होगा।

रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल ग्लोबल डेट में सबसे ज्यादा इजाफा चीन, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन और जापान में हुआ। डॉलर की कमजोरी और विभिन्न केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में कटौती भी कर्ज बढ़ने का कारण रही। IIF ने बताया कि इस वृद्धि का पैमाना कोविड-19 महामारी के दौरान देखी गई वृद्धि के बराबर था।

ग्लोबल डेट-से-प्रोडक्शन रेश्यो धीरे-धीरे कम होते हुए भी 324 फीसदी से थोड़ा ऊपर है, जबकि उभरते बाजारों में यह 242.4 फीसदी पर पहुंच गया है। उभरते बाजारों में दूसरी तिमाही में कुल कर्ज में 3.4 ट्रिलियन डॉलर की वृद्धि हुई और यह 109 ट्रिलियन डॉलर से अधिक पर रिकॉर्ड स्तर पर है।

IIF ने चेतावनी दी है कि उभरते बाजारों को 2025 के बाकी समय में बॉन्ड और लोन रिडेंप्शन में लगभग 3.2 ट्रिलियन डॉलर का दबाव सामना करना पड़ सकता है। जापान, जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों में फिस्कल प्रेशर बढ़ सकता है, और निवेशकों को “बॉन्ड विजिलेंट” रहने की सलाह दी गई है।

रिपोर्ट में अमेरिकी लोन पर भी चिंता जताई गई है। शॉर्ट टर्म डेट अब कुल सरकारी लोन का लगभग 20 प्रतिशत और ट्रेजरी जारी करने का 80 फीसदी है। शॉर्ट टर्म लोन पर बढ़ती निर्भरता केंद्रीय बैंकों पर ब्याज दरें कम रखने का राजनीतिक दबाव बढ़ा सकती है, जिससे मॉनेटरी पॉलिसी की स्वतंत्रता खतरे में पड़ सकती है।
 


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Content Writer

jyoti choudhary

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