अब नहीं आएंगे Gold bond! सरकार Sovereign Gold Bond योजना को बंद करने पर कर रही विचार
punjabkesari.in Monday, Dec 09, 2024 - 10:53 AM (IST)
बिजनेस डेस्कः सरकार अपने कर्ज को कम करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है और इसी संदर्भ में वित्त मंत्रालय अगले वित्त वर्ष (2025-26) से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना को बंद करने पर विचार कर रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, इस योजना के तहत निवेशकों को परिपक्वता अवधि पूरी होने पर सोने की कीमत के बराबर भुगतान और ब्याज देना पड़ता है, जिससे सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ता है।
सरकार ने वित्त वर्ष 2027 से अपना कर्ज और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुपात में व्यापक कमी करने का निर्णय किया है। ऐसे में इस तरह की योजना को जारी रखने की कोई तुक नहीं है। साथ ही इसने सोने के आयात को कम करने के अपने प्रारंभिक उद्देश्य को भी पूरा कर लिया है।
वित्त मंत्री की योजनाः निर्मला सीतारमण 2026 के बजट में कर्ज घटाने के लिए विस्तृत योजना प्रस्तुत कर सकती हैं। वित्त वर्ष 2025 में ऋण-जीडीपी अनुपात 56.8% रहने की उम्मीद है, जो 2024 में 58.2% था।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का योगदान: योजना का उद्देश्य सोने के आयात को कम करना था, जो अब काफी हद तक सफल हो चुका है।
आंकड़े और स्थिति
- मार्च 2023 तक सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर कुल देनदारी ₹4.5 लाख करोड़ तक पहुंच गई थी।
- वित्त वर्ष 2023 तक कुल ₹45,243 करोड़ मूल्य के गोल्ड बॉन्ड जारी किए गए।
- आरबीआई ने वित्तीय बोझ कम करने के लिए समय से पहले भुनाने की सुविधा दी है।
विशेषज्ञों की राय
ईवाई इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार डीके श्रीवास्तव के अनुसार, सोने की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय कीमतों और सरकार के कर्ज को नियंत्रित करने की जरूरत को देखते हुए इस योजना को बंद करना समझदारी भरा कदम होगा।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना की शुरुआत 2015 में हुई थी। इसका उद्देश्य फिजिकल गोल्ड की जगह बॉन्ड में निवेश को बढ़ावा देना था। इन बॉन्ड्स की परिपक्वता अवधि 8 साल है, और निवेशकों को 2.5% वार्षिक ब्याज दिया जाता है।
सरकार ने वित्त वर्ष 2025 में अब तक कोई नया गोल्ड बॉन्ड जारी नहीं किया है, जबकि 18,500 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया था। अंतिम बार फरवरी 2023 में ₹8,008 करोड़ मूल्य के बॉन्ड जारी किए गए थे। यह कदम सरकार की दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता और राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने के उद्देश्य से उठाया जा रहा है।