आम आदमी की थाली से गायब नहीं होगी दाल

punjabkesari.in Friday, Feb 10, 2017 - 11:29 AM (IST)

इंदौरः पिछले वर्ष दालों की खुदरा कीमतों में अनाप-शनाप उछाल ने आम आदमी की रसोई का बजट बिगाड़ दिया था। मौजूदा सत्र के दौरान देश में दलहनी फसलों की अच्छी पैदावार, सरकार द्वारा दालों का बफर स्टॉक तैयार करने और विदेशों से दालों के बड़े आयात के मद्देनजर उद्योग जगत के जानकारों को लगता है कि इस साल आम आदमी की थाली से दाल गायब नहीं होगी। इसकी कीमतें नियंत्रण में बनी रहेंगी।  ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि देश में इस साल दाल की पर्याप्त उपलब्धता के चलते इनकी कीमतें आम आदमी की पहुंच में बनी रहेंगी।’’

खपत 240 से 260 लाख टन के बीच रहने का अनुमान
उन्होंने बताया कि इस साल दालों की खपत 240 से 260 लाख टन के बीच रहने का अनुमान है जबकि अनुकूल मौसमी हालात और रकबे में इजाफे के चलते दलहनी फसलों की पैदावार 200 लाख टन के आसपास रह सकती है। सरकार घरेलू खरीद और आयात के जरिए दालों का 20 लाख टन का बफर स्टॉक तैयार करने के लक्ष्य पर काम कर रही है। इसके अलावा मौजूदा साल में कारोबारियों के स्तर पर भी करीब 40 लाख टन दाल आयात का अनुमान है। इस साल घरेलू बाजार में दालों की उपलब्धता पिछले साल के मुकाबले काफी बढ़ेगी। नतीजतन इनकी खुदरा कीमतों में अचानक भारी उछाल की संभावना कम ही है।

अफ्रीकी मुल्कों के लिए भारत दलहनी फसलों का बड़ा बाजार 
उन्होंने बताया कि भारत को म्यांमार, तंजानिया, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चीन और यूक्रेन प्रमुख रूप से दाल निर्यात करते हैं। इस बीच भारत में दालों की खासी खपत को देखते हुए मोजाम्बिक, मलावी और केन्या जैसे अफ्रीकी देशों में भी दलहनी फसलों खासकर तुअर की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। 

अग्रवाल ने कहा कि ये अफ्रीकी मुल्क भारत को दलहनी फसलों के बड़े बाजार की तरह देख रहे हैं। उन्होंने बताया कि देश में पिछले साल दालों की खुदरा कीमतों में तेजी के बाद परंपरागत रूप से सोयाबीन, गेहूं, सरसों और कपास उगाने वाले किसानों ने भी इस वर्ष दालों की खेती को तरजीह दी है।जानकारों के मुताबिक देश की प्रमुख मंडियों में इन दिनों दलहनी फसलों की अच्छी आवक हो रही है। इससे इनकी कीमतों में गिरावट का दौर जारी है।

आधार के बिना नहीं मिलेगा सस्ता राशन 
केन्द्र सरकार ने राशन की दुकानों से सस्ता अनाज प्राप्त करने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया है। जिन लोगों के पास आधार कार्ड नहीं है, सरकार ने उन्हें खाद्य कानून के तहत सबसिडी वाला अनाज प्राप्त करने के लिए 30 जून तक का समय दिया है।

केन्द्र सरकार का इस फैसले के पीछे मकसद देश की सारी राशन की दुकानों को पूरी तरह से डिजिटलाइज करना है। सरकार के इस फैसले के मुताबिक कैशलैस सिस्टम से आधार को लिंक कर दिया जाएगा। अब राशन केन्द्रों से सामान लाने के लिए सिर्फ  आधार कार्ड साथ ले जाना पड़ेगा। अच्छी बात यह है कि राशन के आधार कार्ड से लिंक हो जाने पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पी.डी.एस.) में घोटाला नहीं हो पाएगा। इसके साथ ही यह भी पता चल पाएगा कि कितने लोगों ने राशन लिया है। राशन की दुकानों से सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत सस्ता अनाज लेने वाले लोगों को संबंधित दुकानों पर अपना आधार नंबर दर्ज करवाना होगा।
 


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