भारत की बड़ी कम्पनियों को लगेगा झटका

punjabkesari.in Wednesday, Jun 22, 2016 - 11:40 AM (IST)

मुंबईः अगर ब्रिटेन गुरुवार को यूरोपीय संघ छोडऩे के पक्ष में मतदान करता है तो ब्रिटेन और यूरोपीय संघ (ईयू) में कामकाज कर रही भारतीय कम्पनियों को बाजार हिस्सेदारी गंवाने, उच्च कारोबारी अवरोध और आव्रजन जैसे मसलों से जुड़े जोखिम का सामना करना पड़ सकता है। कम्पनी के प्रमुखों ने यह चेतावनी दी है। देश की कुछ अग्रणी कम्पनियों का ब्रिटेन व ईयू में अच्छा खासा कारोबार है। इनमें टाटा मोटर्स की सहायक जगुआर लैंड रोवर, टाटा स्टील यूरोप (टीएसई), मदरसन सूमी, टेक महिंद्रा और भारत फोर्ज शामिल हैं। 

 

विश्लेषकों ने कहा, अगर ब्रिटेन इससे बाहर निकलता है तो डॉलर के मुकाबले मुद्रा में मौजूदा स्तर से कम से कम 15-20 फीसदी की गिरावट आएगी। ऐसे में यह जनमतसंग्रह से पूर्व के कारोबारी दायरे 1.50 डॉलर से 1.60 डॉलर से 25-30 फीसदी नीचे होगा। गिरावट का मतलब यह है कि जे.एल.आर. व टी.एस.ई. को यूरोप में बिक्री से कम आय होगी और यूरोपीय संघ से कारोबारी अवरोध का भी इसे सामना करना पड़ेगा। 

 

10 जून को कर्मचारियों को भेजे पत्र में जे.एल.आर. के मुख्य कार्याधिकारी रैल्फ स्पेथ ने कहा है, ईयू से ब्रिटेन का निकलना काफी नुक्सान पहुंचाने वाला होगा और कलपुर्जे की खरीद व उत्पादों की बिक्री में काफी परेशानी होगी। ईयू के सबसे बड़े बाजार में कुल उत्पाद का एक चौथाई जाता है। ईयू में बने रहने से आगे बढऩे, नौकरियों का सृजन और निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी। इसी तरह टी.एस.ई. के प्रमुख (पब्लिक अफेयर्स) टिम मॉरिस ने अपने कर्मचारियों से कहा है कि ब्रिटेन व ईयू का संबंध कंपनी के लिए काफी प्रासंगिक है। ईयू अब तक हमारा सबसे बड़ा निर्यात बाजार रहा है और यूके स्टील का एक तिहाई यहां भेजा जाता है, ऐसे में इस बाजार तक पहुंच हमारे कारोबार के लिए अहम है।

 

उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, अगर ब्रिटेन ईयू से निकलता है तो यह कुछ प्रमुख विनियमन को प्रभावित करने की स्थिति में नहीं होगा, जो ब्रिटिश परिचालन को प्रभावित करता है मसलन पर्यावरणीय नियंत्रण और एंटी-डंपिंग के कदम। ऐसे में संभव है कि हमें बाजार में प्रवेश करने के लिए ईयू के नियम पर ध्यान देने की दरकार होगी। बदलाव यह होगा कि हम अब यह नहीं कर पाएंगे कि कैसे इसे बनाया गया है या लागू किया गया है। 

 

टाटा स्टील यूके अपने ब्रिटिश कारोबार को बेचने की प्रक्रिया में है और इस परिचालन के एक हिस्से को बनाए रखने के लिए बातचीत कर रही है। उन्होंने कहा, ईयू सिर्फ लेता नहीं बल्कि देता भी है। ब्रिटिश कारोबार के लिए ईयू नकदी का स्रोत है - पर्यावरणीय सुधार, बुनियादी ढांचे के विकास व शोध व विकास के लिए फंड। ब्रिटेन के ग्राहकों ने कहा कि ब्रिटेन की ईयू से निकासी का हम पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। मदरसन सूमी के चेयरमैन विवेक सी सहगल ने कहा, हमारे कंपनियों के पोर्टफोलियो में ब्रिटिश पाऊंड राजस्व काफी कम है। 

 

ब्रिटेन में हमारे 3 संयंत्र हैं और वहां हमारे ग्राहक भी हैं। अगर ब्रिटेन की निकासी होती है तो हमें स्थानीय होने का फायदा मिलेगा। अगर ऐसा नहीं होता है तो कारोबार सामान्य चलेगा। हम जल्द ही ब्रिटेन में नया संयंत्र लगाने जा रहे हैं और ब्रिटेन की निकासी या ईयू में बने रहने का इस पर असर नहीं होगा।


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