नयी प्रौद्योगिकी के लिये सहायक नीतिगत ढांचे, पारिस्थितिकी की उम्मीद: COAI

punjabkesari.in Monday, Aug 03, 2020 - 01:48 PM (IST)

नई दिल्ली: मोबाइल दूरसंचार कंपनियों के संगठन सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) को देश में एक अनुकूल नीतिगत व्यवस्था और पारिस्थितिकी तंत्र की उम्मीद है जिसमें वे नयी से नयी प्रौद्योगिकी को अपना सकें। गौरतलब है कि भारत में सेल्युलर मोबाइल दूरसंचार सेवा के 25 वर्ष पूरे हुए है। सीओएआई के नवनियुक्त महानिदेशक एसपी कोचर ने कहा कि भारतीय मोबाइल दूरसंचार उद्योग ने 25 साल पहले शून्य से सफर शुरू किया और अब चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा बाजार बन गया है। भारतीय दूरसंचार उद्योग के पास 120 करोड़ से अधिक उपभोक्ता हैं और उन्हें सबसे सस्ते डेटा के साथ अन्य सुविधाएं मिल रही हैं।

कोचर ने कहा 31 जुलाई 1995 को मोबाइल से किये गये पहले कॉल के बाद से, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं ने हमेशा मुश्किल परिस्थितियों को पार किया है और नागरिकों को आपस में जोड़े रखा है। इसके अलावा उन्होंने अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाया है, सरकारों को काम करने में मदद किया है और नेटवर्क को सुचारू रखा है। उन्होंने कहा इस क्षेत्र ने अभूतपूर्व वृद्धि देखी है और 2019 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 6.5 प्रतिशत का योगदान देकर देश की आर्थिक रीढ़ बना है। उन्होंने कहा कि अब जब भारत का दूरसंचार क्षेत्र अगले 25 वर्षों की अपनी यात्रा शुरू कर रहा है, ऐसे में 5जी महत्वपूर्ण होने वाला है और इसके लिये सहायक नीतियों की आवश्यकता होगी।

कोचर ने कहा 5जी मोबाइल नेटवर्क की अगली पीढ़ी है और हम नयी प्रौद्योगिकी लाने के लिये एक सहायक नीतिगत ढांचे और पारिस्थितिकी तंत्र की उम्मीद करते हैं। जीडीपी में दूरसंचार क्षेत्र का योगदान एक महत्वपूर्ण कारक रहेगा (जैसा कि उद्योग का लक्ष्य योगदान को मौजूदा 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर आठ प्रतिशत करना है)। उन्होंने कहा कि एज कंप्यूटिंग, क्वांटम कंप्यूटिंग, ब्लॉकचेन, रोबोटिक्स और अन्य कई प्रौद्योगिकियां निश्चित रूप से अगले पांच से 10 वर्षों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी, जिन्हें देश में अनुकूल वातावरण की आवश्यकता होगी।

उन्होंने कहा कि सरकार को 5 जी तकनीक के लिए 3300-3600 मेगाहर्ट्ज बैंड में पूर्ण रूप से चिह्नित स्पेक्ट्रम उपलब्ध कराना चाहिये। कोचर ने कहा 5 जी हाई लेवल फोरम द्वारा 26, 28 और 40 गीगाहर्ट्ज के अतिरिक्त स्पेक्ट्रम बैंड की भी पहचान की जानी चाहिये तथा उन्हें 5 जी के लिए उपलब्ध कराया जाना चाहिये। संगठन ने दूरसंचार क्षेत्र के सामने आये वित्तीय संकट को दूर करने के लिये सरकार से नीतिगत हस्तक्षेप करने का भी अनुरोध किया है। कोचर ने कहा सरकार को दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) समेत विनियामक शुल्क के उच्च बोझ को तर्कसंगत बनाना चाहिये। अभी दूरसंचार सेवाओं पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगता है।



 


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Author

rajesh kumar

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