बैंकों को लेकर बड़ी खबर, Minimum Balance को लेकर आया नया अपडेट
punjabkesari.in Monday, Jul 07, 2025 - 11:15 AM (IST)

बिजनेस डेस्कः अगर आप भी हर महीने बैंक खाते में न्यूनतम बैलेंस बनाए रखने की चिंता में रहते हैं, तो आपके लिए राहत की खबर है। देश के कई प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक न्यूनतम बैलेंस की अनिवार्यता को खत्म करने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। कैनरा बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक और इंडियन बैंक जैसे दिग्गज सरकारी बैंकों ने हाल ही में न्यूनतम बैलेंस की अनिवार्यता को हटा दिया था
हाल ही में वित्त मंत्रालय और बैंकों के बीच हुई एक बैठक में यह मुद्दा प्रमुखता से उठा। मंत्रालय ने पूछा कि जब लगभग सभी बैंकिंग सेवाएं डिजिटल हो चुकी हैं, तो ग्राहकों पर न्यूनतम बैलेंस का बोझ क्यों?
RBI रिपोर्ट ने दिखाई दिशा
RBI की हालिया फाइनेंशियल स्टैबिलिटी रिपोर्ट के अनुसार, बैंकों की जमा प्रोफाइल में बदलाव आया है। अब वे टर्म डिपॉजिट और कमर्शियल पेपर्स जैसे उच्च ब्याज साधनों पर अधिक निर्भर हैं, जबकि बचत और चालू खातों में जमा घट रही है। यह बदलाव भी न्यूनतम बैलेंस नीति को रीव्यू करने की एक वजह बना है।
जनधन योजना से मिली प्रेरणा
बैंकिंग सेक्टर को प्रधानमंत्री जनधन योजना से भी एक महत्वपूर्ण सबक मिला है। शुरुआत में निष्क्रिय रहने के बाद इन खातों में धीरे-धीरे लेन-देन और जमा शुरू हुई, जिससे यह समझ बना कि बिना न्यूनतम बैलेंस शर्त के भी खाते लंबे समय में सक्रिय हो सकते हैं।
SBI पहले ही हटा चुका है शर्त
देश का सबसे बड़ा बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (SBI), पहले ही मार्च 2020 में मिनिमम बैलेंस की बाध्यता खत्म कर चुका है। एक RTI से खुलासा हुआ था कि पेनाल्टी से बैंक को हुई कमाई उसके लाभ से भी ज्यादा थी, जिसके बाद कड़ी आलोचना हुई और नीति बदली गई।
निजी बैंक अब भी सख्त
हालांकि निजी बैंक अभी भी इस शर्त को लेकर कड़ा रवैया अपनाए हुए हैं। हालांकि जनधन या सैलरी खातों और फिक्स्ड डिपॉजिट वाले ग्राहकों को कुछ राहत दी जाती है।
क्या होता है न्यूनतम बैलेंस?
न्यूनतम बैलेंस वह राशि होती है जो खाते में हर समय बनी रहनी चाहिए। ऐसा न होने पर बैंक ग्राहक से पेनाल्टी वसूलता है। यह शर्त खासतौर पर निजी बैंकों में काफी सख्ती से लागू होती है, जबकि सरकारी बैंक इस मामले में अब नरम रुख अपनाते दिख रहे हैं।