एशिया प्रशांत के देशों के मुकाबले भारत पर अमेरिकी शुल्क कम रहने की उम्मीद: मूडीज
punjabkesari.in Thursday, Jul 03, 2025 - 06:22 PM (IST)

नई दिल्लीः मूडीज रेटिंग्स ने बृहस्पतिवार को कहा कि एशिया प्रशांत क्षेत्र के कई देशों की तुलना में भारत पर अमेरिकी शुल्क कम रहने की संभावना है, जिससे अर्थव्यवस्था को और अधिक निवेश आकर्षित करने और वैश्विक विनिर्माण आधार बनने में मदद मिल सकती है। एशिया प्रशांत क्षेत्र के परिदृय अपने दृष्टिकोण में मूडीज रेटिंग्स ने कहा कि कई निर्यात-निर्भर एशिया प्रशांत अर्थव्यवस्थाएं अप्रैल में बहुत अधिक अमेरिकी शुल्क से प्रभावित हुईं।
हालांकि, बातचीत से द्विपक्षीय आधार पर शुल्क और अन्य व्यापार बाधाओं में कुछ कमी आने की संभावना है लेकिन नीति अनिश्चितता, निवेश निर्णयों को चुनौती दे रही है और व्यापार को बाधित कर रही है। इसने कहा कि व्यापार नीति के बारे में अनिश्चितता और वैश्विक व्यापार के संभावित बदलाव ने एशिया प्रशांत क्षेत्र में चक्रीय और संभवतः संरचनात्मक ऋण जोखिम बढ़ा दिए हैं। मूडीज रेटिंग्स ने कहा कि चीन से बाहर निवेश और विनिर्माण के विविधीकरण से लाभान्वित होने वाली वियतनाम और कंबोडिया जैसी अर्थव्यवस्थायें अब उच्च अमेरिकी शुल्क का सामना कर रही हैं। ये अर्थव्यवस्थायें विशेष रूप से जोखिम में हैं।
मूडीज रेटिंग्स ने कहा, "कंबोडिया और वियतनाम जैसे देशों के उलट भारत को निवेश और व्यापार प्रवाह में एक शुल्क आधारित बदलाव का लाभ मिल सकता है। एशिया प्रशांत क्षेत्र (एपीएसी) में कई देशों की तुलना में भारत पर कम शुल्क रह सकता है, जो अर्थव्यवस्था को आगे निवेश प्रवाह को आकर्षित करने और एक वैश्विक विनिर्माण आधार के रूप में विकसित होने में मदद कर सकता है।'' मई में ब्रिटेन के साथ एक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर और यूरोपीय संघ के साथ इसके लिए जारी प्रयास इस तरह के विकास का और समर्थन करेंगे। दो अप्रैल को, अमेरिका ने भारतीय उत्पादों 26 प्रतिशत का जवाबी शुल्क लगाया था लेकिन बाद में इसे 90 दिन के लिए निलंबित कर दिया।
हालांकि, अमेरिका द्वारा लगाया गया 10 प्रतिशत का मूल शुल्क लागू है। भारत अतिरिक्त 26 प्रतिशत शुल्क से पूरी छूट चाहता है। वर्तमान में, भारत और अमेरिका के अधिकारी दोनों देशों के बीच प्रस्तावित अंतरिम व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। भारत अपने श्रम-गहन उत्पादों के लिए अधिक बाजार पहुंच की मांग कर रहा है, वहीं अमेरिका अपने कृषि उत्पादों के लिए शुल्क रियायत चाहता है। अमेरिकी जवाबी शुल्क पर रोक नौ जुलाई को समाप्त हो रही है, ऐसे में व्यापारी समझौते के लिए बातचीत महत्वपूर्ण हो जाती है।