चीनी मिलों ने पेट्रोल में 50 फीसदी एथनॉल मिलाने का दिया खाका
punjabkesari.in Monday, Aug 28, 2023 - 12:12 PM (IST)

नई दिल्लीः पेट्रोल में एथनॉल मिलाने की योजना एक के बाद एक चुनौतियों से जूझ रही है। मगर चीनी मिलों ने पेट्रोल में 50 फीसदी एथनॉल मिलाने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य हासिल करने की योजना हाल ही में सरकार के सामने पेश की। सरकार ने 2030 तक पेट्रोल में औसतन 50 फीसदी एथनॉल मिलाने का लक्ष्य रखा है। चीनी मिलों ने डिस्टिलेशन क्षमता बढ़ाने के लिए कुल 50,000 करोड़ रुपए के निवेश की योजना बनाई है, जो 15,000 करोड़ रुपए की पुरानी निवेश योजना के अलावा है। 15,000 करोड़ रुपए निवेश की योजना 2025 तक पेट्रोल में 20 फीसदी एथनॉल मिलाने का लक्ष्य ध्यान में रखकर बनाई गई थी।
चीनी मिलों ने ई-100 फ्लेक्स ईंधन से चलने वाले वाहन बड़ी तादाद में बाजार में लाने के लिए सरकार से मदद मांगी। ऐसे वाहन 10 से 100 फीसदी एथनॉल मिश्रित पेट्रोल से चल सकते हैं। मिलों ने योजना दी, उसके अनुसार 2030 तक पेट्रोल में 50 फीसदी एथलॉन मिलाकर देश भर में पहुंचाने के लिए सालाना औसतन 30 अरब लीटर एथनॉल की जरूरत होगी, जिनमें से 15 से 16 अरब लीटर एथनॉल गन्ने से बनने वाले शीरे से आएगा। बाकी एथनॉल खराब हुए अनाज, मक्का और दूसरे स्रोतों से आएगा। योजना में कहा गया है कि देश में 30 अरब लीटर एथनॉल बनने से पेट्रोल का आयात कम होगा। इससे 2030 तक तकरीबन 15 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा बच जाएगी और किसानों की आय में करीब 1.80 लाख करोड़ रुपए का इजाफा होगा।
2030 तक पेट्रोल में औसतन 50 फीसदी एथनॉल मिलाने की यह योजना इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने तैयार की है, जिसे हाल में हुई एक बैठक में सरकार और नीति अयोग के वरिष्ठ अधिकारियों के सामने पेश किया गया। यह योजना 100 फीसदी एथलॉन से चलने वाली पहली कार उतारे जाने से ठीक पहले आई है।
2022-23 एथनॉल आपूर्ति वर्ष में पेट्रोल में औसतन 12 फीसदी एथनॉल मिलाने का लक्ष्य है, जिसे 2025 तक बढ़ाकर 20 फीसदी किया जाएगा। 2022-23 में जुलाई की शुरुआत तक करीब 55 अरब लीटर एथनॉल आपूर्ति का कराक किया जा चुका है, जिसमें से करीब 4 अरब लीटर एथनॉल गन्ने से आएगा और बाकी अनाज से बना एथनॉल होगा। सूत्रों ने कहा कि 50 फीसदी एथनॉल मिश्रित पेट्रोल की योजना आने के बाद मिलों की अधिशेष क्षमता एथनॉल उत्पादन में जुट जाएगी और उन्हें जरूरत से ज्यादा बनी चीनी का निर्यात भी नहीं करना पड़ेगा।
इस्मा के अध्यक्ष आदित्य झुनझुनवाला ने बताया, ‘पिछले तीन साल के दौरान हमारा औसत चीनी उत्पादन करीब 4 करोड़ से 4.1 करोड़ टन रहा है और देश में खपत केवल 2.75 करोड़ से 2.8 करोड़ टन रही है। ज्यादा बनी करीब 1 से 1.3 करोड़ टन चीनी से 15-16 अरब लीटर एथनॉल बनाया जा सकता है। इसका इस्तेमाल कर 2030 तक औसतन 50 फीसदी एथनॉल मिश्रित पेट्रोल का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। इससे निर्यात पर निर्भरता भी कम होगी और हम अपनी चीनी को पूरी तरह से एथनॉल में बदल सकेंगे।’
झुनझुनवाला ने कहा कि वैश्विक वाहन कंपनियां ब्राजील जैसे देशों में फ्लेक्स ईंधन से चलने वाले वाहन बेचती हैं। इसलिए उन्हें किसी नई ईजाद की जरूरत नहीं पड़ेगी। योजना में बताया गया है कि इस तरह का ईंधन ग्राहकों के लिए भी फायदेमंद है क्योंकि ई-100 ईंधन कर सहित करीब 70 रुपये प्रति लीटर का पड़ेगा। झुनझुनवाला ने कहा, ‘हमने यह सुझाव भी दिया है कि तेल मार्केटिंग कंपनियां अपने डिपो में एथनॉल मिलाने के बजाय सीधे पेट्रोल पंपों को एथनॉल दे सकती हैं। पंप अपने यहां पेट्रोल में इसे मिला सकते हैं, जिससे ढुलाई का खर्च भी बचेगा।’