रबी की बुवाई के लिए खाद, बीज की कमी नहीं होने दी जाएगी: सरकार

punjabkesari.in Monday, Sep 19, 2016 - 04:07 PM (IST)

नई दिल्लीः आज किसानों को आश्वस्त किया कि रबी फसल की बुवाई के दौरान उर्वरक और बीज आदि की पर्याप्त आपूर्ति की व्यवस्था की गई है। किसान अक्तूबर से गेहूं और रबी की अन्य फसलों की बुवाई की तैयारी शुरू करने में लग चुके हैं। रबी फसलों की कटाई का काम अप्रैल से शुरू होता है। गेहूं रबी की प्रमुख फसल है। इस दौरान मक्का, बाजरा, कई दलहनों और सरसों जैसे प्रमुख तिलहनों की भी खेती होती है।  

सरकार ने वर्ष 2016-17 के रबी सत्र में 9.65 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का लक्ष्य रखा है इस दौरान दलहनों का उत्पादन 1.35 करोड़ टन करने का लक्ष्य है। कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "रबी सत्र में उर्वरकों और बीजों जैसे कृषि लागतों की कोई कमी नहीं होगी। आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में हो रही है।" अधिकारी ने कहा कि प्रदेश सरकारों को सभी कृषि लागतों को तैयार रखने को कहा गया है तथा रबी फसलों की समय पर बुवाई को प्रोत्साहित करने के लिए नमी को संरक्षित करने के लिए कदम उठाने को कहा। 

मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2016-17 (जुलाई-जून) के रबी सत्र में यूरिया की उपलब्धता 166.22 लाख टन होने का अनुमान लगाया गया है जबकि आवश्यकता 166.20 लाख टन की है। इसी प्रकार से डाय अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की आपूर्ति 52.45 लाख टन होने का अनुमान है जो 51.41 लाख टन की मांग के मुकाबले कहीं अधिक है।

आगामी रबी सत्र के दौरान म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमआेपी), एनपीके और सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) की भी आपूर्ति क्रमश: 18.50 लाख टन, 53.70 लाख टन और 33.57 लाख टन होने का अनुमान लगाया गया है। बीजों के मामले में अधिकारी ने कहा कि कुछ दलहनों को छोड़कर बाकी रबी फसलों के लिए बीजों की कोई कमी नहीं है। 

गेहूं बीजों की उपलब्धता रबी सत्र के दौरान 136.5 लाख टन होने का अनुमान है जो 117.5 लाख क्विंटल की आवश्यकता के मुकाबले कहीं अधिक है। समीक्षाधीन अवधि में ज्वार बीजों की आपूर्ति 1.25 लाख क्विंटल होगी जबकि आवश्यकता 1.21 लाख क्विंटल की ही है। चना बीजों की आपूर्ति 17.6 लाख क्विंटल की मांग के मुकाबले 16 लाख क्विंटल ही रहेगी तथा उड़द के बीजों की आपूर्ति कम यानी 1.03 लाख क्विंटल रहने का अनुमान है जहां आवश्यकता 1.08 क्विंटल की है। अधिकारी ने कहा कि प्रदेश सरकारों को ‘ऑफ सीजन’ के दौरान बीज उत्पादन को प्रोत्साहित करने को कहा गया है ताकि कमी को पूरा किया जा सके। उन्हें बीज प्रमाणीकरण मानकों को भी लागू करने पर बल देने को कहा गया है।


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