UPI से करते हैं रोजाना ऐसी पेमेंट....तो बन सकते जांच का कारण, ITR में जानकारी देना जरूरी
punjabkesari.in Tuesday, Aug 05, 2025 - 11:52 AM (IST)

बिजनेस डेस्कः डिजिटल पेमेंट अब हमारी रोजमर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन चुका है, चाय वाले से सब्जी वाले को 100,200 या 500 जैसे लेन-देन आम हो गए हैं लेकिन अगर ये छोटे ट्रांजेक्शन रोज-रोज होते हैं, तो साल के अंत में ये बड़ी रकम बन सकते हैं और टैक्स अधिकारियों की नजर में आ सकते हैं।
उदाहरण के तौर पर, अगर कोई व्यक्ति रोजाना ₹400 किसी को पेटीएम या गूगल पे के जरिए भेजता है, तो महीने में यह ₹12,000 और सालभर में ₹1.44 लाख हो जाता है। अगर यह पेमेंट किसी सेवा या काम के बदले किया या लिया गया है, तो इसे आय (Income) माना जा सकता है और इसे ITR (Income Tax Return) में दिखाना जरूरी हो जाता है।
पैटर्न से पकड़ा जा सकता है ट्रांजेक्शन
आयकर विभाग केवल बड़ी रकम ही नहीं, बल्कि नियमितता और पैटर्न पर भी नजर रखता है। अगर बार-बार एक जैसी राशि एक ही व्यक्ति या खाते में भेजी जाती है, तो यह टैक्स अधिकारियों को संदेह का कारण लग सकता है।
बैंकों और UPI ऐप्स (जैसे Google Pay, PhonePe, Paytm) का डेटा NPCI (नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) के माध्यम से आयकर विभाग तक पहुंच सकता है। यह डेटा यह बताने में मदद करता है कि किन खातों में किस तरह के लेन-देन हो रहे हैं। इसलिए ₹100-₹200 की रोजाना पेमेंट, भले ही छोटी हो लेकिन अगर नियमित हो रही है, तो वह टैक्स अधिकारियों की नजर में आ सकती है।
टैक्स की जरूरत कब?
अगर आपकी कुल वार्षिक आय टैक्स स्लैब से नीचे है, तो चिंता की बात नहीं, खासकर अगर ट्रांजेक्शन घरेलू खर्चों के लिए है लेकिन यदि आप किसी सेवा के बदले डिजिटल पेमेंट ले रहे हैं – जैसे ट्यूशन, फ्रीलांसिंग, ऑनलाइन कंसल्टिंग, डिजाइनिंग आदि और आपकी आय छूट की सीमा (₹2.5 लाख/₹3 लाख/₹5 लाख) से ऊपर चली जाती है, तो उसे ITR में दिखाना अनिवार्य है।
टैक्स नियमों में बढ़ी निगरानी
डिजिटल इंडिया की पहल ने पारदर्शिता और सुविधा बढ़ाई है लेकिन इसके साथ डेटा-आधारित निगरानी और जवाबदेही भी आई है। टैक्स विभाग अब सिर्फ करोड़ों के लेन-देन नहीं देखता, बल्कि यह भी जांचता है कि पैसा कितनी बार, कहां से और किस उद्देश्य से आया है।