रूसी तेल के सामान्य से अधिक आयात से खुदरा तेल कंपनियों को होगा फायदाः रिपोर्ट

punjabkesari.in Wednesday, Jun 08, 2022 - 10:46 AM (IST)

बिजनेस डेस्कः बाजार कीमतों से काफी कम दाम पर रूसी तेल का सामान्य से अधिक आयात किए जाने से सार्वजनिक क्षेत्र की खुदरा पेट्रोलियम कंपनियों फायदा होगा। निकट अवधि में उनकी वर्किंग कैपिटल की जरूरत में कमी आ सकती है। रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने मंगलवार को यह कहा।

खुदरा पेट्रोलियम कंपनियों इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) ने पिछले कुछ महीनों में पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस एलपीजी के खुदरा बिक्री मूल्य में लागत के हिसाब से बदलाव नहीं किए हैं। वे ईंधन विपणन पर नुकसान उठाती हैं और इसकी भरपाई सस्ते रूसी कच्चे तेल के प्रसंस्करण से हासिल होने वाले उच्च रिफाइनरी मार्जिन से कर रही हैं।

फिच ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि बढ़ती वैश्विक मांग और रिफाइंड उत्पादों के लिए आपूर्ति में कमी आने से रिफाइनिंग मार्जिन को समर्थन मिलता है और तेल कंपनियों के विपणन मार्जिन में क्रमिक सुधार होता है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, ‘बाजार कीमतों पर मिल रही खासी छूट पर रूसी तेल का सामान्य से अधिक आयात करना तेल विपणन कंपनियों के लिए निकट अवधि की कार्यशील पूंजी की जरूरतों को कम कर सकता है।’

क्रूड पर निर्भर रहेगी खुदरा कीमत
रेटिंग एजेंसी ने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि भारत में पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतें मध्यम अवधि में कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव के अनुरूप रहेंगी। इससे तेल विपणन कंपनियों के विपणन मार्जिन में वित्त वर्ष 2022-23 के बाकी समय में धीरे-धीरे सुधार होना चाहिए, भले ही यह सामान्य स्तर से कम हो।’

कच्चे तेल की कीमत 84 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर मार्च की शुरुआत में 14 साल के उच्च स्तर 139 डॉलर पर पहुंच गई थीं। हालांकि बाद में इसमें धीरे-धीरे कुछ गिरावट आई और इस समय यह 120 डॉलर प्रति बैरल के करीब है लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर कीमते 120 डॉलर के ऊपर सस्टेन करती हैं और ग्लोबल परिस्थितयां नहीं सुधरती हैं तो क्रूड और महंगा हो सकता है। ऐसी स्थिति में फिर पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाने पड़ सकते हैं।
 


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Content Writer

jyoti choudhary

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