यात्री किराए पर करोड़ों रुपए की सब्सिडी देती है रेलवे

punjabkesari.in Friday, Aug 04, 2017 - 01:52 PM (IST)

नई दिल्लीः भारतीय रेल लागत से कम मूल्य पर यात्रा की सुविधा उपलब्ध कराकर हर वर्ष यात्री किराए पर 35 से 45 हजार करोड़ रुपए की सब्सिडी देती है और उसकी विमानन उद्योग जैसी किराया प्रणाली लागू करने की कोई योजना नहीं है।

खाली सीटों की तत्काल बुकिंग पर मिल रही है छूट
रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने आज राज्यसभा में एक पूरक प्रश्न के उत्तर यह जानकारी देते हुए कहा कि लागत से कम मूल्य पर यात्री किराए वसूले जाते हैं और इसका उल्लेख टिकट पर भी किया जाता है। उन्होंने कहा कि विमानन उद्योग जैसी किराया प्रणाली रेलवे में लागू करने की कोई योजना नहीं है लेकिन देश की आबादी के 1.5 प्रतिशत के लिए किराए को डायनमिक बनाया गया है जिसमें पहले बुकिंग कराने के बाद किराए में मामूली बढौतरी हो जाती है। इसके साथ ही शताब्दी जैसी ट्रेनों के चार्ट बनने के बाद खाली सीटों की तत्काल बुकिंग पर 10 फीसदी की छूट भी दी जा रही है।
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रेलवे स्टेशनों का हो रहा है पुनर्विकास
उन्होंने कहा कि रेलवे का आधुनिकीकरण सतत प्रक्रिया है और यह लगातार जारी रहता है। पहले चरण में पांच वर्ष के लिए 8.52 लाख करोड़ रुपए की कार्ययोजना बनाई गई है जिसमें से तीन वर्षाें में 3.75 लाख करोड़ रुपए का आवंटन किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त रेलवे स्टेशनों का पुनर्विकास किया जा रहा है जिसमें सरकारी और निजी क्षेत्र की भागीदारी हो रही है। सरकारी कंपनी एन.बी.सी.सी. को 10 स्टेशन आवंटित किए जा चुके हैं और 40 स्टेशन आवंटित करने की प्रक्रिया में है। सरकारी निजी भागीदारी से 25 स्टेशनों का पुनर्विकास किया जा रहा है जिसमें से भोपाल के हबीबगंज स्टेशन को निजी क्षेत्र को दे दिया गया है। गांधी नगर स्टेशन को निजी क्षेत्र को देने की प्रक्रिया जारी है।

राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष बनाया
प्रभु ने कहा कि पांच वर्ष में एक लाख करोड़ रुपए की लागत से यात्री सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष बनाया गया है जिसमें सरकार के पूंजी निवेश के साथ रेलवे शेष संसाधनों की व्यवस्था अपने राजस्व और अन्य स्रोतों से करेगी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2001 में विशेष रेलवे संरक्षा निधि के लिए संरक्षा अधिभार लगाया गया था और वर्ष 2007 में इसको संर्पित मालभाड़ा गलियारा के वित्तपोषण के लिए विकास अधिभार के रूप में यात्री किराए में सम्मलित कर दिया गया था और वर्ष 2013 में इस विकास अधिभार को मूल किराए में विलय कर दिया गया। 


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