भूषण पावर के लिए टाटा-जेएसडब्ल्यू में खींचतान, लौह अयस्क तक पहुंची आंच
punjabkesari.in Monday, Aug 13, 2018 - 11:34 AM (IST)
कोलकाताः भूषण पावर ऐंड स्टील के अधिग्रहण को लेकर देश की दो प्रमुख स्टील कंपनियों- टाटा स्टील और जेएसडब्ल्यू स्टील की लड़ाई की आंच अब लौह अयस्क तक पहुंचती दिख रही है। जेएसडब्ल्यू स्टील ने ओडिशा में लौह अयस्क की नीलामी प्रक्रिया को चुनौती दी है। खदान एवं खनिज (विकास एवं नियमन) (एमएमडीआर) अधिनियम के तहत स्वीकार्य सीमा से अधिक खदान वाली कंपनियों की प्रतिभागिता के इस मामले की सुनवाई दिल्ली उच्च न्यायालय में चल रही है। उच्च न्यायालय ने ओडिशा सरकार को सुंदरगढ़ जिले के दो लौह अयस्क ब्लॉकों - चांदीपोशी और पूरहीबहल की नीलामी पर रोक लगा दी। इसकी नीलामी 5 और 8 मई को होनी थी।
जेएसडब्ल्यू और टाटा स्टील सहित 17 कंपनियों ने इसमें दिलचस्पी दिखाई थी। हालांकि एमएमडीआर प्रावधान से प्रभावित होने वाली एकमात्र कंपनी टाटा स्टील हो सकती है क्योंकि नियमों के तहत अगर किसी कंपनी ने 10 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में पहले से ही खदान पट्टे पर लिया हुआ हो तो वह इलेक्ट्रॉनिक नीलामी में हिस्सा नहीं ले सकती है। मामला न्यायालय में लंबित होने का हवाला देकर टाटा स्टील के प्रवक्ता ने कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया। जेएसडब्ल्यू स्टील का पक्ष जानने के लिए ई-मेल किया गया लेकिन कोई जवाब नहीं आया।
समझा जाता है कि टाटा स्टील के पास राज्य में 6 लौह अयस्क और मैगनीज खदान हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल करीब 50 वर्ग किलोमीटर है। हालांकि ओडिशा सरकार ने 10 वर्ग किलोमीटर की सीमा को बढ़ाकर 75 वर्ग किलोमीटर करने के लिए केंद्र सरकार से अपील की है।
जेएसडब्ल्यू स्टील और टाटा स्टील के बीच खनिज को लेकर एक और जंग छिड़ गई है। दोनों कंपनियों ने ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता के तहत भूषण स्टील को लेकर भी प्रतिस्पर्धा की थी, लेकिन इसमें बाजी टाटा स्टील के हाथ लगी। अब जेएसडब्ल्यू स्टील और टाटा स्टील भूषण पावर ऐंड स्टील को लेकर एक-दूसरे के सामने है। यह सौदा जिसके भी खाते में जाएगा वह कम से कम अल्पावधि के लिए घरेलू स्टील बाजार में नंबर एक कंपनी बन सकती है।