प्रधान ने की प्राकृतिक गैस को GST के दायरे में लाने की वकालत

punjabkesari.in Tuesday, Nov 28, 2017 - 03:44 PM (IST)

नई दिल्लीः पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने प्राकृतिक गैस को अप्रत्यक्ष कर की एकल व्यवस्था माल एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) के दायरे में लाने की आज जोरदार वकालत की और कहा कि जब अधिक प्रदूषण फैलाने वाला कोयला ईंधन जी.एस.टी. में शामिल हो सकता है तो पर्यावरण अनुकूल प्राकृतिक गैस ईंधन निश्चित रूप से इसका हकदार है।

प्रधान ने केपीएमजी ऊर्जा शिखर सम्मेलन में सवाल किया, ‘‘कोयले को जी.एस.टी. में शामिल किया गया है और पांच प्रतिशत कर लगाया गया है लेकिन गैस को इससे बाहर रखा गया है। यह कितना निष्पक्ष है।’’ फिलहाल कच्चा तेल, पेट्रोल, डीजल, विमान ईंधन (ए.टी.एफ.) तथा प्राकृतिक गैस को जीएसटी में शामिल नहीं किया गया है। इन पर उत्पाद शुल्क, सेवा कर तथा मूल्य वद्र्धित कर (वैट) समेत एक दर्जन से अधिक अप्रत्यक्ष कर लगते हैं। जीएसटी एक जुलाई से लागू हुआ। इससे जहां तेल एवं गैस उद्योग जो भी वस्तु एवं सेवाओं की खरीद करता है, उस पर जीएसटी लगता है जबकि तेल एवं गैस तथा पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति पर उत्पाद शुल्क तथा वैट जैसे कर लगते हैं।

नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था के तहत जहां दूसरे उद्योग कर भुगतान पर ‘क्रेडिट’ ले सकते हैं, वहीं तेल एवं गैस उद्योग के लिये ‘इनपुट जीएसटी’ के मामले में कोई ‘क्रेडिट’ नहीं होता। इससे उद्योग पर अप्रत्यक्ष कर का अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। इससे पहले, पेट्रोलियम मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर प्राकृतिक गैस को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार करने को कहा था। उद्योग मंडल फिक्की ने भी प्राकृतिक गैस को नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में शामिल करने की वकालत की है ताकि उत्पादकों को लागत कम करने में मदद मिले और गैस-आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने में मदद मिले। फिलहाल सी.एन.जी. तथा पाइप के जरिए घरों में पहुंचने वाली गैस पर 5 प्रतिशत से 12 प्रतिशत की दर से वैट लगता है।  
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News