आवक के दबाव से निकलेगा आलू का दम, दाम होंगे और कम!

punjabkesari.in Saturday, Nov 24, 2018 - 02:04 PM (IST)

नई दिल्लीः आलू के दाम आगे और गिर सकते हैं। वजह यह है कि आने वाले दिनों में नये आलू की आवक का दबाव बढऩे के साथ मंडियों में कोल्ड स्टोर से आने वाले आलू की आपूर्ति भी बढ़ेगी। उत्तर प्रदेश के कोल्ड स्टोर में आलू के भंडार को देखते हुए लगता नहीं है कि इस साल तय समय पर कोल्ड स्टोर खाली हो पाएंगे। ऐसा होने पर आलू सड़क पर फेंकने की नौबत भी आ सकती है। बीते कुछ सप्ताह से आलू की कीमतों में गिरावट देखी जा रही है। महीने भर में आलू के दाम मुख्य उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश की आगरा मंडी में 1,350-1,600 रुपए से गिरकर 950-1,000 रुपए, पश्चिम बंगाल में 1,400-1,450 रुपए से गिरकर 1,100-1,200 रुपए और दिल्ली में 800-2,000 रुपए से गिरकर 700-1,500 रुपए प्रति क्विंटल रह गए हैं।

दिल्ली की आजादपुर मंडी के आलू कारोबारी त्रिलोकचंद शर्मा ने कहा कि बीते महीनों में आलू के भाव अच्छे मिलने के बीच आगे भी अच्छे दाम की उम्मीद में किसानों और कारोबारियों ने कोल्ड स्टोर से आलू धीमी गति से निकाला। जिससे स्टोर में काफी आलू बच गया लेकिन पिछले महीने से किसानों ने कोल्ड स्टोर में बड़ी मात्रा में रखे आलू को तेजी से निकालना शुरू कर दिया। जिससे महीने भर में आलू के दाम काफी गिर चुके हैं। इस समय नये आलू की भी आवक हो रही है और यह आवक इस माह के अंत से और जोर पकड़ेगी। किसानों को इस माह के आखिर तक कोल्ड स्टोर भी खाली करने हैं। ऐसे में आगे आलू के दाम और गिरने की संभावना है। फेडरेशन ऑफ कोल्ड स्टोर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महासचिव व उत्तर प्रदेश के कोल्ड स्टोर संचालक राजेश गोयल ने कहा कि उत्तर प्रदेश के कोल्ड स्टोरों में अभी भी 10 से 15 फीसदी आलू बचा हुआ है और 30 नवंबर तक कोल्ड स्टोर खाली करने की अंतिम तारीख है। 

आगरा के ही कोल्ड स्टोर में आलू के 45 लाख कट्टे (50 किलो) रखे हैं। सप्ताह भर में इतने आलू कोल्ड स्टोर से निकलना मुश्किल है। आगरा कोल्ड स्टोर संघ के अध्यक्ष सुदर्शन सिंघल कहते हैं कि इस समय रोजाना एक लाख कट्टा आलू ही स्टोर से निकल रहा है। अगर इससे दुगना आलू भी निकलने लगे, तब भी कोल्ड स्टोर खाली नहीं हो पाएंगे। ऐसे में आलू सड़क पर फिंकने की संभावना के बारे में सिंघल ने कहा कि मजबूरी में ऐसा करना पड़ सकता है। वर्ष 2017-18 में करीब 485 लाख टन आलू का उत्पादन होने का अनुमान है, जो इससे पहले वाले वर्ष के मुकाबले मामूली कम है।
 


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jyoti choudhary

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