EPFO का बयान, PF सदस्यता समाप्त होने पर नहीं मिलेंगे पेंशन लाभ

punjabkesari.in Tuesday, Dec 12, 2017 - 04:25 PM (IST)

चंडीगढ़ः कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ई.पी.एफ.ओ.) ने अपने सदस्यों से अपील की है कि वे अपने भविष्य निधि खातों में से न तो समूची रकम निकालें और न ही इन्हें बंद करें क्योंकि ऐसा करने से वे सामाजिक सुरक्षा पेंशन जैसे लाभों से वंचित हो सकते हैं। ई.पी.एफ.ओ. के क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त वी़ रंगानाथ ने आज यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया विभिन्न संस्थानों में नौकरी करने पर हर बार अपने भविष्य निधि खातों में जमा समूची रकम निकाल लेने वाले कर्मचारी अथवा सदस्य पेंशन लाभ से वंचित हो जाते हैं। उन्होंने ऐसे सदस्यों को सलाह दी कि वे ई.पी.एफ.ओ. का यूनिवर्सल अकाउंट नंबर(यू.ए.एन.) हासिल कर उसमें विभिन्न संस्थानों में नौकरी के दौरान कर्मचारी एवं नियोक्ता द्वारा भविष्य निधि में जमा कराए गए अंशदान को एक जगह स्थानांतरित कर सकते हैं। भले ही यह अंशदान कितना ही पुराना क्यों न हो। अगर यह अंशदान अवधि अथवा सेवाकाल कम से कम दस वर्ष तक है तो संबंधित व्यक्ति 58 वर्ष की आयु होने पर ई.पी.एफ.ओ. पेंशन पाने का पात्र होगा। उन्होंने बताया कि यू.ए.एन. से संबंधित सदस्य अपने भविष्य निधि खाते की पूरी निगरानी रख सकता है। इससे उसे जहां उसके खाते जमा कुल रकम का पता चलेगा वहीं नियोक्ता द्वारा उसका अंशदान जमा कराने या नहीं कराने की भी जानकारी मिल सकेगी। वैसे ई.पी.एफ.ओ. भी अपने सदस्यों को हर माह ढाई से तीन करोड़ एसएमएस भेज कर उनके खातों में जमा हुई रकम के बारे में जानकारी देता है।

रंगानाथ के अनुसार ई.पी.एफ.ओ. ने अपनी कार्यप्रणाली का डिजिटलीकरण कर और इसे चुस्त दुरूस्त और पारदर्शी बनाते हुए अपने सदस्यों को उनका जमा पैसा तथा अन्य लाभ हासिल करने की प्रक्रियायों का सरलीकरण किया है ताकि उन्हें किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत न हो। उन्होंने बताया कि मकान बनाने, विवाह और शिक्षा आदि के लिए भविष्य निधि से पैसा निकालने के लिए ई.पी.एफ.ओ. ने अब नियोक्ता से ऐसे अनुरोधों का प्रमाणीकरण करानी की अनिवार्यता समाप्त कर दी है। उन्होंने बताया कि न्यूनतम 20 कर्मचारी वाले संस्थानों में भविष्य निधि अंशदान योजना लागू करना अनिवार्य है लेकिन भविष्य निधि कानून की धारा 14 के तहत अगर नियोक्ता और कर्मचारी सहमत हो जाएं तो यह योजना कम कर्मचारी होने की स्थिति भी लागू की जा सकती है।
 


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