पाउच में पैट्रोल! देश में खुलेंगे विदेशी पम्प और बनेगी सुपर मार्केट
punjabkesari.in Sunday, Aug 11, 2019 - 04:57 AM (IST)
मुंबई: अब जल्द ही देश में आपको पाउच में पैट्रोल मिल सकता है। अगर सरकार की योजना पर ठीक-ठाक अमल हुआ तो कई विदेशी कम्पनियां भारत के रिटेल क्षेत्र में उतरने जा रही हैं। इनमें दुनिया की सबसे बड़ी सऊदी अरब की तेल कम्पनी ‘सऊदी अरामको’ का नाम शामिल है। इसके अलावा ‘टोटल’ और ‘ट्रैफिग्युरा’ जैसी बड़ी विदेशी कम्पनियां भी सुपर मार्केट चेन खोलने की लिस्ट में शामिल हैं। खास बात यह है कि अपनी इन सुपर मार्केट में ये कम्पनियां पैट्रोल भी बेच सकेंगी। अब अगर ऐसा होता है तो पैट्रोल वहां पाऊच में ही मिलेगा।
मामले के एक जानकार के अनुसार तेल मंत्रालय ने करीब 20 साल पुराने एक नियम को खत्म करने के लिए कैबिनेट प्रस्ताव तैयार किया है। यह नियम केवल उन कम्पनियों को पैट्रोल, डीजल और हवाई जहाज के ईंधन की मार्कीटिंग करने की इजाजत देता है, जिन्होंने तेल की खोज, उसके उत्पादन, उसकी रिफाइनिंग, पाइपलाइन या टर्मिनल लगाने के लिए देश में 2,000 करोड़ रुपए निवेश किए हों या जिन्होंने इतनी रकम निवेश करने का प्रस्ताव दिया हो। तेल मंत्रालय वित्त, वाणिज्य और कानून मंत्रालयों से इस प्रस्ताव पर सलाह ले रहा है। समिति ने यह सुझाव भी दिया था कि गैर-तेल कम्पनियों के लिए यह सैक्टर खोला जाए, पैट्रोल पंप लगाने के लिए समय-सारिणी बनाई जाए और इसका पालन नहीं करने वालों पर जुर्माना लगाया जाए। न्यूनतम निवेश नियम भारत में तेजी से बढ़ते ईंधन बाजार में उतरने की चाहत रखने वाली विदेशी कम्पनियों के लिए बड़ी बाधा रहा है।
सऊदी की सऊदी अरामको, फ्रांस की टोटल और तेल कारोबार से जुड़ी कम्पनी ट्रैफिग्युरा को लाइसैंस नियम में बदलाव का तुरंत फायदा हो सकता है। सूत्र ने बताया कि सऊदी अरामको ने हाल ही में तेल मंत्रालय को लिखा था कि वह हिंदुस्तान में तेल के खुदरा कारोबार में उतरना चाहती है। सऊदी अरामको के सी.ई.ओ. अमीन एच. नसीर ने पिछले साल कहा था कि ङ्क्षहदुस्तान में अपना मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाए बिना अरामको फ्यूल रिटेङ्क्षलग में नहीं उतरेगी।
वह सालाना 6 करोड़ टन क्षमता वाली प्रस्तावित रिफाइनरी में सरकारी कम्पनियों के साथ सांझेदारी भी कर रही है। पैनल चाहता है कि कम्पनियां खुदरा और थोक कारोबार के लिए अलग-अलग लाइसैंस लें। थोक यानी कम से कम 12,000 लीटर प्रति दिन तेल का वितरण। अगर वही कम्पनी बल्क (थोक) मार्कीटिंग लाइसैंस चाहती है तो उसका नैटवर्थ कम से कम 500 करोड़ रुपए होना चाहिए। फ्रांस की टोटल ने यहां एनर्जी कारोबार के लिए अडानी से पार्टनरशिप की है लेकिन उसने मार्कीटिंग लाइसैंस के लिए आवेदन नहीं किया है।