पासवान ने राज्यों से किसानों के गन्ना बकाये का भुगतान सुनिश्चित कराने को कहा

punjabkesari.in Wednesday, Apr 11, 2018 - 12:25 PM (IST)

नई दिल्लीः खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने किसानों के गन्ने के भुगतान का बकाया बढऩे पर पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य सरकारों को किसानों के भुगतान के लिए चीनी मिलों को सख्त निर्देश जारी करना चाहिए तथा भुगतान न करने वाली मिलों के खिलाफ कार्रवाई करने पर विचार करना चाहिए। मिलों पर किसानों का बकाया बढ़कर लगभग 15,000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है।

पासवान ने इस मुद्दे पर सभी चीनी उत्पादक राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा है। उन्होंने लिखा है, "सभी चीनी मिलों के लिए मौजूदा चीनी सत्र (2017-18) की बकाया राशि काफी बढ़ गई हैं। यह हम सभी के लिए गंभीर चिंता का मामला है।" उन्होंने लिखा, "इसलिए, मैं इस मुद्दे पर आपके हस्तक्षेप की अपेक्षा करता हूं और चाहता हूं कि सभी चीनी मिलों को चीनी सत्र 2017-18 और पहले के वर्षों के भी गन्ना मूल्य बकाए का तुरंत भुगतान करने के संबंध में उन्हें सख्त निर्देश जारी किया जाए। जहां कहीं भी जरूरी हो आप उन चूक करने वाले चीनी मिलों के खिलाफ जरूरी कार्रवाई करने पर भी विचार कर सकते हैं।"

पासवान ने आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, ओडिशा, छत्तीसगढ़, पंजाब, गुजरात, पुदुचेरी, गोवा, तमिलनाडु, हरियाणा, तेलंगाना, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तराखंड के मुख्यमंत्रियों को यह पत्र लिखा है। चीनी मिलों पर सितंबर को समाप्त होने वाले चालू विपणन वर्ष में 21 मार्च तक गन्ना उत्पादकों का 13,899 करोड़ रुपए का बकाया था। संसद में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों पर गन्ने का सबसे अधिक 5,136 करोड़ रुपए का बकाया है जिसके बाद कर्नाटक में 2,539 करोड़ रुपए और महाराष्ट्र में मिलों पर 2,348 करोड़ रुपए का बकाया है। हालंकि खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि गन्ने का बकाया अब 15,000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है।

भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के अनुसार ब्राजील के बाद दुनिया में चीनी के दूसरा सबसे बड़े उत्पादक देश भारत में चीनी उत्पादन, चालू विपणन वर्ष 2017-18 (अक्तूबर-सितंबर) में रिकॉर्ड 2.95 करोड़ टन होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष 2.03 करोड़ टन का हुआ था। भारत में चीनी की वार्षिक घरेलू मांग करीब 2.5 करोड़ टन होने का अनुमान लगाया गया है। अधिक उत्पादन होने के कारण घरेलू बाकाार में चीनी की कीमतों में गिरावट आई है, और इस प्रकार चीनी मिलों के सामने नकदी प्रवाह की समस्या आई है और गन्ना किसानों का भुगतान करने की उनकी क्षमता प्रभावित हुई है।  


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jyoti choudhary

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