अब खाद्य पदार्थों के पैकेट पर होगी यह जानकारी, सरकार कर रही है तैयारी

punjabkesari.in Wednesday, Jul 19, 2017 - 10:51 AM (IST)

नई दिल्लीः जल्द ही डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों पर लिखा होगा कि आपकी सेहत के लिए वह कितना अच्छा है। सरकार डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों में आगे की ओर यह सब लिखवाने के प्रावधान पर काम कर रही है। इससे ग्राहक समझ जाएंगे कि उनकी सेहत के लिए कौन सा उत्पाद अच्छा है और कौन सा नहीं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफ.एस.एस.ए.आई.) एक अधिनियम का मसौदा तैयार कर रहा है और उसने ऐसे चार प्रमुख मानक छांट लिए हैं, जो स्वस्थ आहार के लिए जरूरी हैं। ये चार मानक हैं - उत्पाद में वसा की मात्रा, चीनी और नमक की मात्रा और कुल कैलोरी।

सरल तरीके से छापी जाएगी जानकारी
जो खाद्य तत्व सेहत से करीब से जुड़े होते हैं, उन्हें पैकेट पर सामने की ओर सांकेतिक और सरल तरीके से छापा जाएगा। उनके संकेत आसानी से समझ आने वाले होंगे ताकि ग्राहक उन्हें पढ़कर सोच समझकर ही सामान खरीदे। अभी किसी भी खाद्य पदार्थ के पोषक तत्त्वों का ब्योरा पैकेट के पीछे की ओर लिखा होता है। लेकिन उसमें यह नहीं बताया जाता है कि कौन सा तत्व सेहत की सीमाओं के भीतर मात्रा में डाला गया है और यह भी पता नहीं चलता कि शरीर की रोजमर्रा की जरूरत पूरी करने के लिए वह काफी है या उससे अधिक अथवा कम है।
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लगे होंगे ये निशान
मानक तैयार करने के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। इनमें एक है 'स्टार रेटिंग' प्रणाली (ठीक उसी तरह जैसा कि भारत में एयर कंडीशनर में ऊर्जा किफायत जानने के लिए इस्तेमाल की जाती है)। 'स्टार रेटिंग' प्रणाली से उपभोक्ता को उत्पाद में पोषक तत्व की मात्रा जानने में मदद मिलेगी। दूसरा विकल्प 'ट्रैफिक लाइटिंग सिस्टम' है। इसमें अगर तत्व स्वास्थ्य के लिए जरूरी मात्रा या सीमा से कम होगा तो हरा निशान लगेगा। अगर उसकी मात्रा अधिक है तो लाल निशान होगा और ठीकठाक मात्रा में होगा तो नारंगी निशान लगाया जाएगा।

इस विकल्प पर भी किया जा रहा विचार
तीसरा विकल्प है उपभोक्ता को यह बताना कि दैनिक स्वीकार्य सीमा की कितनी फीसदी मात्रा उत्पाद में उपलब्ध है। इससे वह स्वयं भी इसके बारे में फैसला कर सकता है। उदाहरण के लिए नमक की तय सीमा प्रति व्यक्ति 10 ग्राम प्रतिदिन है और उत्पाद में 5 ग्राम नमक है तो कंपनी को यह लिखना चाहिए कि यह उत्पाद व्यक्ति की 50 प्रतिशत दैनिक जरूरत पूरी करता है।


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