अब त्यौहार से पहले खाने का तेल होगा सस्ता, इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती

punjabkesari.in Saturday, Aug 21, 2021 - 01:39 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः आम आदमी को त्यौहार से पहले बड़ी राहत मिलते वाली है। केन्द्र सरकार ने त्यौहारों से पहले खाने का तेल सस्ता करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने टैक्स घटाने का ऐलान किया है। बता दें कि पिछले कई महीनों से खाद्य तेल की कीमतों में तेजी है और दाम आसमान छू रहे हैं इसलिए दामों को काबू में कर आम आदमी को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला किया है।

सरकार ने सोया तेल और सूरजमुखी तेल की इंपोर्ट ड्यूटी को घटा दिया है। इसे 15 से घटाकर 7.5 प्रतिशत कर दिया है। इसका सीधा मतलब है कि विदेशों से खाने का तेल मंगाना सस्ता हो जाएगा। मौजूदा समय में एक साल में 60,000 से 70,000 करोड़ रुपए खर्च कर 1.5 करोड़ टन खाने का तेल विदेश से खरीदना पड़ता है क्योंकि घरेलू उत्पादन करीब 70-80 लाख टन है, जबकि देश को अपनी आबादी के लिए सालाना करीब 2.5 करोड़ टन खाने के तेल की जरूरत होती है।

रूस और यूक्रेन से होता है सूरजमुखा तल का आयात
भारत ने पिछले साल 72 लाख टन पाम ऑयल मलेशिया और इंडोनेशिया से आयात किया। 34 लाख टन सोया तेल का आयात ब्राजील और अर्जेंटीना से और 25 लाख टन सूरजमखी तेल का आयात रूस और यूक्रेन से किया गया। भारत में मलेशिया और इंडोनेशिया दोनों ही देशों से पाम ऑयल का आयात किया जाता है। मांग और आपूर्ति के इस गैप की वजह से घरेलू बाजार में दाम पर असर होता है।

केंद्र सरकार ने आज एक राज्य पत्र जारी कर सोया डीगम और सनफ्लावर पर आयात शुल्क में 7.5 प्रतिशत कटौती की है इससे आगे त्यौहारों के दिन होने के नाते खाद्य तेलों की खरीदारी बढ़ने के चलते ग्राहकों को थोड़ी राहत मिलेगी लेकिन इस बार सरकार ने यह कटौती कुछ समय के लिए यानी 30 सितंबर तक की है।

सरकार का यह कदम जरूरीः शंकर ठक्कर
अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर का कहना है कि सरकार चाहती तो जैसे आज आयात शुल्क में तेल कटौती की है ऐसे ही इसे कभी भी वापस ले सकती थी लेकिन अवधि दिए जाने से कुछ वर्ग इसका गैर लाभ उठा सकते हैं।

शंकर ठक्कर ने आगे कहा कि सरकार का यह कदम जरूरी था। हमने काफी समय से इसके लिए सरकार से मांग की थी आज इस मांग को पूरा करने के लिए हम सरकार का आभार जताते हैं और स्वागत भी करते हैं। इससे विदेशों में उबल रहे बाजारों पर तो रोक नहीं लगेगी लेकिन घरेलू बाजारों पर असर जरूर से होगा। ठक्कर बताते हैं कि सरकार द्वारा आयात शुल्क कम किए जाने पर विदेशी निर्यातक देश निर्यात शुल्क पर बदलाव नहीं लाते हैं तो ही घरेलू बाजार को इसका लाभ मिलेगा। इस कदम से किसानों को आहत होने की कोई भी आवश्यकता नहीं है क्योंकि सरकार हाल ही में 11000 करोड़ रुपए की योजना लाई है।

उन्होंने बताया कि विदेशों से आयात हो रहे खाद्य तेलों में पाम ऑयल की हिस्सेदारी 55 फीसदी है। भारत सरकार ने साल 2025-26 तक पाम तेल व घरेलू उत्पादन तीन गुना बढ़ाकर 11 लाख टन कर की लक्ष्य बनाया है। इसके अलावा राष्ट्रीय तिलहन मिशन पर अगले पांच साल में करीब 19,000 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना है। सरकार की ये दोनों योजनाएं सही समय पर कार्यान्वयन होनी चाहिए तो इसका लाभ देश की किसानों को भी मिलेगा एवं देश खाद्य तेल के मामले में आत्मनिर्भर बनने की दिश कदम बढ़ाएगा।

गौरतलब है कि देश में आसमान छूते खाद्य तेलों के दाम पर अंकुश के लिए गत 9 अगस्त को पी.एम. नरेंद्र मोदी ने अहम ऐलान किया था। तेल के दाम पर अंकुश और किसानों की आय बढ़ाने के लिहाज से मोदी ने पाम ऑयल के उत्पादन को लेकर एक राष्ट्रीय योजना का ऐलान किया था।


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Content Writer

jyoti choudhary

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