RBI की दरों में कोई बदलाव नहीं, रेपो रेट 6.50% पर बरकरार
punjabkesari.in Friday, Oct 05, 2018 - 02:52 PM (IST)
बिजनेस डेस्कः रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति समिति (एम.पी.सी.) की तीन दिवसीय बैठक ने आज रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर जबकि रिवर्स रेपो रेट को 6.25 फीसदी पर बरकरार रखा गया है। बैंक के इस कदम से सस्ते कर्ज का इंतजार और लंबा हो गया है।
बैठक की अहम बातें
- रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 7.4 फीसदी पर बरकरार रखा।
- जुलाई-सितंबर में महंगाई दर 4 फीसदी और अक्टूबर-मार्च में 3.9-4.5 फीसदी रहने का अनुमान है।
- अप्रैल-जून 2019 में महंगाई दर 4.8 फीसदी रहने का अनुमान है।
- वित्त वर्ष 2019 में वित्तीय घाटा 3.3 फीसदी रहने का अनुमान है।
4 बड़े बैंकों ने पहले ही कर्ज किया महंगा
बता दें कि पिछले दिनों देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई ने मार्जिन कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट (एमसीएलआर) में 0.05 फीसदी की बढ़ोतरी की है। इसके अलावा पीएनबी ने भी शॉर्ट टर्म लोन के लिए मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट को 0.2 फीसदी बढ़ाया। एचडीएफसी लिमिटेड ने भी रिटेल प्राइस लेंडिंग रेट (आरपीएलआर) में 0.10 फीसदी की बढ़ोतरी की है। आईसीआईसीआई बैंक ने एमसीएलआर में 0.1 फीसदी का इजाफा किया है।
समिति में शामिल हैं ये सदस्य
मौद्रिक नीति समिति में सरकार द्वारा नामित सदस्यों में चेतन घाटे, पामी दुआ, रवीन्द्र एच ढोलकिया शामिल हैं। वहीं रिजर्व बैंक की तरफ से गवर्नर उर्जित पटेल, मौद्रिक नीति प्रभारी डिप्टी गवर्नर विरल.ए. आचार्य और बैंक के कार्यकारी निदेशक मिशेल डी पात्रा इसके सदस्य हैं।
क्या होती है रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट
रेपो रेट वह दर होती है जिसपर बैंकों को आर.बी.आई. कर्ज देता है। बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को लोन मुहैया कराते हैं। रेपो रेट कम होने का अर्थ है कि बैंक से मिलने वाले तमाम तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे। रिवर्स रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आर.बी.आई. में जमा धन पर ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है।