UPI ट्रांजैक्शन पर नया नियम लागू, कल से देना होगा Extra चार्ज, इस बैंक ने किया ऐलान
punjabkesari.in Thursday, Jul 31, 2025 - 12:52 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः अगर आप UPI पेमेंट करते हैं, तो यह खबर आपके लिए अहम है। देश के प्रमुख निजी बैंकों में शामिल ICICI बैंक ने 1 अगस्त 2025 से UPI ट्रांजैक्शन पर नया शुल्क लागू करने का फैसला किया है। यह चार्ज सीधे ग्राहकों पर नहीं, बल्कि पेमेंट एग्रीगेटर्स पर लगाया जाएगा लेकिन इसका असर डिजिटल लेनदेन की लागत पर पड़ सकता है।
ICICI बैंक से पहले Yes बैंक और Axis बैंक ने भी पेमेंट एग्रीगेटर्स से ऐसे चार्ज लेना शुरू कर दिया था और अब ICICI बैंक भी इस लिस्ट में शामिल हो गया है।
कितना लगेगा चार्ज?
ICICI बैंक ने फैसला किया है कि वह पेमेंट एग्रीगेटर्स से हर UPI ट्रांजेक्शन पर 2 बेसिस प्वाइंट यानी 0.02 फीसदी का चार्ज लेगा। इसका मतलब है कि अगर कोई ट्रांजैक्शन 10,000 रुपए का है, तो उस पर 2 रुपए का चार्ज लगेगा लेकिन इस चार्ज की अधिकतम सीमा 6 रुपए प्रति ट्रांजेक्शन रखी गई है।
यह चार्ज उन पेमेंट एग्रीगेटर्स पर लागू होगा जिनका ICICI बैंक में एस्क्रो अकाउंट है। अगर किसी पेमेंट एग्रीगेटर का ICICI बैंक में एस्क्रो अकाउंट नहीं है, तो उनसे 4 बेसिस प्वाइंट यानी 0.04 फीसदी चार्ज लिया जाएगा, जिसकी अधिकतम सीमा 10 रुपए प्रति ट्रांजैक्शन होगी। इसका मतलब है कि 10,000 रुपए के ट्रांजैक्शन पर 4 रुपए चार्ज बनेगा लेकिन इससे ज्यादा कभी नहीं होगा।
किन ट्रांजैक्शन पर लगेगा चार्ज?
पेमेंट एग्रीगेटर्स वो कंपनियां हैं जो ऑनलाइन व्यापारियों को ग्राहकों से पेमेंट लेने में मदद करती हैं। जैसे, अगर आप किसी दुकान या ऑनलाइन स्टोर पर UPI से पेमेंट करते हैं, तो पेमेंट एग्रीगेटर उस पेमेंट को प्रोसेस करता है और व्यापारी के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करता है। मशहूर पेमेंट एग्रीगेटर्स में PhonePe, Paytm, Razorpay जैसी कंपनियां शामिल हैं। ICICI बैंक का यह चार्ज सिर्फ उन ट्रांजेक्शन पर लागू होगा जो ICICI बैंक के मर्चेंट अकाउंट में सीधे सेटल नहीं होते। अगर मर्चेंट का अकाउंट ICICI बैंक में है, तो यह चार्ज नहीं लगेगा।
ग्राहकों के लिए अब भी फ्री
फिलहाल आम ग्राहकों को UPI ट्रांजेक्शन के लिए कोई चार्ज नहीं देना होगा। सरकार और RBI ने अभी तक मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) को शून्य रखा है लेकिन भविष्य में नीति में बदलाव संभव है।
क्या हो सकता है असर?
अगर अन्य बैंक भी इसी तरह का चार्ज लागू करते हैं, तो पेमेंट एग्रीगेटर्स की लागत बढ़ सकती है। हो सकता है, ये कंपनियां आगे चलकर यह बोझ मर्चेंट्स या उपभोक्ताओं पर डालें। इससे डिजिटल भुगतान व्यवस्था की लागत बढ़ने की आशंका है।