नरेश गोयल ने ऐसे तय किया ट्रैवल एजैंट से एयरलाइन मालिक का सफर, 300 रुपए मिला था पहला वेतन

punjabkesari.in Wednesday, Mar 27, 2019 - 10:11 AM (IST)

बिजनेस डेस्कः जैट एयरवेज के चेयरमैन पद से इस्तीफा देने को मजबूर हुए नरेश गोयल के फर्श से अर्श तक पहुंचने की कहानी शुरू तब हुई जब वह 18 वर्ष की उम्र में बिल्कुल खाली हाथ दिल्ली पहुंचे। जहां उन्होंने 300 रुपए माह वेतन पर नौकरी की। वह 1967का साल था। तब पटियाला में उनका परिवार दो वक्त की रोटी के लिए भी मोहताज था। वहां से गोयल ने दुनियावी तिकड़म सीखे और ऐसी स्थिति में पहुंच गए जहां उन्हें लगने लगा कि सरकार की एविएशन पॉलिसीज तो मानो उन्हीं की जरूरतें पूरा करने के लिए बनी हों। अब जब किस्मत पलटी तो गोयल को लांचिंग के 28 साल बाद जैट एयरवेज से निकलना पड़ा। गोयल और उनके परिवार की जैट में कभी वापसी हो भी पाएगी या नहीं, यह देखने की बात है।
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ट्रैवल एजैंसी में नौकरी
वर्ष 1967 में गोयल दिल्ली आए तो उन्होंने कनॉट प्लेस से संचालित होने वाली एक ट्रैवल एजैंसी ज्वॉइन कर ली जो उनके चचेरे नाना चला रहे थे। इस नौकरी से उन्हें प्रति माह करीब 300 रुपए मिलने लगे। बाद में वह ट्रैवल इंडस्ट्री में अपना पांव पसारने लगे और उनके दोस्तों की संख्या लगातार बढ़ती गई। ये दोस्त खासकर जॉर्डन, खाड़ी और दक्षिण पूर्व एशिया आदि में विदेशी एयरलाइंस से थे। इस दौरान वह बहुत तेजी से एविएशन सैक्टर का पूरा व्यापार समझ गए। उन्हें टिकट की व्यवस्था से लेकर लीज पर एयरक्राफ्ट लेने तक की अच्छी समझ हो गई।

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1973 में बनाई खुद की एजैंसी
1973 में गोयल ने खुद की ट्रैवल एजैंसी खोल ली, जिसे उन्होंने जैट एयर का नाम दिया। जब वह पेपर टिकट लेने एयरलाइन कम्पनियों के दफ्तर जाया करते तो वहां लोग उनका यह कहकर मजाक उड़ाते थे कि आपने ट्रैवल एजैंसी का नाम एयरलाइन कम्पनी जैसा रखा है। तब गोयल कहा करते कि एक दिन वह खुद की एयरलाइन कम्पनी भी जरूर खोलेंगे।

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जैट एयरवेज से भड़ी उड़ान
गोयल का यह सपना साल 1991 में पूरा हो गया जब उन्होंने एयर टैक्सी के रूप में जैट एयरवेज की शुरूआत कर दी। दरअसल तब भारत में बिल्कुल संगठित तरीके से प्राइवेट एयरलाइंस के संचालन की अनुमति नहीं थी, जो एयरक्राफ्ट टाइम टेबल के मुताबिक उड़ान भरे, जैसा कि अब हो रहा है। एक साल बाद जैट ने 4 जहाजों का एक बेड़ा बना लिया और जैट एयरक्राफ्ट की पहली उड़ान शुरू हो गई।

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विवादों का साया
एविएशन इंडस्ट्री में गोयल का करियर शुरू से ही विवादों में रहा जब जैट की शुरूआती फंडिंग के स्रोतों पर सवाल उठे। एक सीनियर एयरलाइन ऑफिसर ने कहा कि उन्हें पसंद कर सकते हैं, उनसे नफरत हो सकती है लेकिन उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता जिन्होंने जैट के रूप में भारत को पहला संगठित एयरलाइन दिया जब देश के अंदर हवाई यात्रा का एक ही साधन सरकारी इंडियन एयरलाइंस थी। जे.आर.डी. टाटा ने एयर इंडिया की स्थापना की थी जो देश की सर्वोत्तम एयरलाइंस कम्पनी थी। लेकिन जैसे ही सरकार ने इंडियन एयरलाइंस को अपने कब्जे में लिया, दशकों पुराने सरकारी नियम-कानून और कुप्रबंधन ने महाराजा को भिखारी में तबदील कर दिया।


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एक फैसला और डूबती गई जैट
जैट को विदेशों के लिए उड़ानें भरने वाली एकमात्र कम्पनी बनाने के लिए गोयल ने 2007 में एयर सहारा को 1,450 करोड़ रुपए में खरीद लिया। तब इन फैसलों को गोयल की गलती के तौर पर देखा गया। तब से कम्पनी को वित्तीय मुश्किलों से सही मायने में कभी छुटकारा नहीं मिल पाया। मामले से वाकिफ  एक व्यक्ति ने कहा कि प्रोफैशनल्स पर भरोसा नहीं करना और कम्पनी के संचालन में हमेशा अपना दबदबा रखना गोयल की दूसरी बड़ी गलती साबित हुई।


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Isha

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