9-9-6 वर्क कल्चर, 70 नहीं-अब 72 घंटे काम करें युवा, जानें किसने दिया ये बयान
punjabkesari.in Tuesday, Nov 18, 2025 - 05:42 PM (IST)
बिजनेस डेस्कः भारत की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी इंफोसिस के को-फाउंडर एन.आर. नारायण मूर्ति एक बार फिर सुर्खियों में हैं। काम के घंटों को लेकर दिए उनके ताज़ा बयान ने सोशल मीडिया पर नई बहस शुरू कर दी है। कुछ समय पहले उन्होंने युवाओं को सप्ताह में 70 घंटे काम करने की सलाह दी थी और अब उन्होंने इसे बढ़ाकर 72 घंटे प्रति सप्ताह तक कर देने की बात कही है। इस बार उन्होंने चीन के फेमस 9-9-6 वर्क कल्चर का उदाहरण देते हुए भारत को ज्यादा मेहनत की आवश्यकता पर जोर दिया है।
‘कड़ी मेहनत से ही तरक्की’
79 वर्षीय नारायण मूर्ति का कहना है कि बेहतर जीवन और प्रगति के लिए कड़ी मेहनत अनिवार्य है। उनके अनुसार, पहले व्यक्ति को अपने और अपने परिवार के उत्थान पर ध्यान देना चाहिए, उसके बाद वर्क-लाइफ बैलेंस की बात करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इतिहास में कोई भी देश लंबे समय तक कठिन परिश्रम किए बिना विकसित नहीं हुआ है। उनके इस बयान पर सोशल मीडिया पर मिले-जुले रिएक्शन आ रहे हैं- कुछ लोग सहमत हैं, जबकि कई इसे अव्यावहारिक बता रहे हैं।
चीन का उदाहरण देकर पेश किया 72 घंटे का तर्क
एक टीवी इंटरव्यू में मूर्ति ने चीन के 9-9-6 मॉडल का ज़िक्र किया। उन्होंने बताया कि उनके संगठन Catamaran के कुछ कर्मचारी चीन के कई शहरों में गए और देखा कि वहां एक समय लोग सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक, सप्ताह में 6 दिन काम करते थे यानी पूरा 72 घंटे का वर्क वीक। मूर्ति का कहना है कि इसी तरह भारत के युवाओं को भी अधिक घंटे काम करने की आदत डालनी चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उदाहरण देते हुए कहा कि वे सप्ताह में लगभग 100 घंटे काम करते हैं।
क्या है 9-9-6 वर्क कल्चर?
- सुबह 9 बजे काम शुरू
- रात 9 बजे तक काम
- सप्ताह में 6 दिन
यह मॉडल चीन की बड़ी टेक कंपनियों में लंबे समय तक चला, लेकिन बाद में सरकार ने इसे गैरकानूनी घोषित कर दिया। कारण....
- कर्मचारियों में अत्यधिक थकान
- वर्क-लाइफ बैलेंस की समस्या
- स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां।
इसे कर्मचारियों के अधिकारों का उल्लंघन माना गया।
सोशल मीडिया पर छिड़ी तीखी बहस
जैसे पहले उनके बयान पर प्रतिक्रिया आई थी, इस बार भी सोशल मीडिया पर विवाद तेज हो गया है। कई लोग कहते हैं कि देश की तरक्की के लिए मेहनत जरूरी है। वहीं कुछ यूज़र्स सवाल उठाते हैं कि जब तक वेतन, कार्य-परिस्थितियां और इन्फ्रास्ट्रक्चर बेहतर नहीं होंगे, तब तक इतने लंबे घंटे काम करना व्यावहारिक नहीं है।
