MRF: इसके शेयर देश में सबसे महंगे, 75 देशों में होते हैं टायर निर्यात

punjabkesari.in Friday, Feb 09, 2024 - 02:37 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः ऑटोमोटिव टायर मैन्युफेक्चरर्स एसोसिएशन (एटीएमए) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत की पांच कंपनियां, दुनिया के टॉप-30 टायर उत्पादकों में शामिल हैं। इसी संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय टायर इंडस्ट्री का रेवेन्यू साल 2032 तक 22 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। साल 2022 में यह 9 अरब डॉलर था। भारत, दुनिया का अग्रणी टायर निर्माता है। 30% हिस्सेदारी के साथ एमआरएफ भारतीय बाजार का मार्केट लीडर है। इसके शेयर (1,43,000 रुपए) देश में सबसे महंगे हैं। देश की हर दस में से तीन गाड़ियों में एमआरएफ के टायर हैं। एमआरएफ चर्चाओं में है क्योंकि के. एम मेमन ने दोबारा कंपनी के एमडी का पद संभाला है। हालाकि घोषणा पहले हो गई थी। क्या है एमआरएफ का इतिहास, इस हफ्ते की ब्रांड स्टोरी में पढ़ते हैं।

विदेश में निर्यात करने वाली पहली कंपनी MRF

एमआरएफ (मद्रास रबर फैक्ट्री) की नींव 1946 में मद्रास (अब चेन्नई) में रखी गई। के. एम मेमन मापिल्लई नाम का एक युवक गुब्बारे बेचा करता था। बाद में वह खिलौने, ग्लब्स भी बनाने लगा। इस बीच उसे 'ट्रेड रबर' के बारे में पता चला। घिस चुके टायर की उम्र बढ़ाने के लिए ट्रेड रबर लगाई जाती थी। 1952 में मेमन ने ट्रेड रबर बनाने की यूनिट लगाई, चार सालों में ही इसने आधे मार्केट पर कब्जा कर लिया। इस बीच एमआरएफ ने टायर बनाने के लिए अमेरिकी टायर कंपनी मेंसफील्ड का सहयोग लिया। और साल 1961 में एमआरएफ ने पहली बार टायर बनाया। हालांकि बाद में मॅसफील्ड से करार टूट गया और एमआरएफ ने स्वंत्रत रूप से कारोबार जारी रखा।

ड्राइविंग स्कूल चलाने के साथ खिलौने भी बनाती है कंपनी

एमआरएफ सिर्फ टायर ही नहीं बनाती। देश के साथ-साथ एशिया में मोटर स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने का श्रेय एमआरएफ को जाता है। कंपनी ने मोटर स्पोट्र्स के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया है। यह ड्राइविंग स्कूल और क्रिकेट कोचिंग अकादमी भी संचालित करती है। यह देश की इकलौती ऐसी कंपनी है जो टायर की सभी रेंज बनाती है। यह वॉल्वो, होन्डा, जनरल मोटर्स, सुजुकी और फोर्ड जैसी विदेशी कंपनियों को भी टायर सप्लाई करती है। यह टायर के अलावा रबर से जुड़े प्रोडक्ट जैसे कन्वेयर बेल्ट और खेल सामग्री भी बनाती है। इसकी सब्सिडरी कंपनी साल 1989 से एमआरएफ वेपोक्योर पेंट्स नाम से बिजनेस करती है।

स्वदेशी कंपनियों में सबसे महंगा शेयर

13 जून 2023 को जब एमआरएफ के शेयर ने एक लाख का आंकड़ा छुआ, तो लोगों को जिज्ञासा हुई कि इसका शेयर देश में सबसे महंगा क्यों है। दरअसल एमआरएफ ने आज तक अपने शेयर स्प्लिट नहीं किए। यही वजह है कि इनके कुल शेयर की संख्या कम है। मांग- आपूर्ति में अंतर के कारण दाम ज्यादा हैं। हालाकि इससे पहले साल 1970 में कंपनी ने दो के मुकाबले एक और 1975 में दस के मुकाबले तीन शेयर का बोनस दिया था। लेकिन उसके बाद से बोनस शेयर नहीं दिए गए। इसके शेयर का ऑल टाइम हाई 1,50,254 रुपए है। गुरुवार को इसके एक शेयर की कीमत 1,43,000 रुपए थी। दुनिया में सबसे महंगा शेयर बर्कशायर हैथवे का 4.91 करोड़ रुपए का है।

1964 में मसलमैन का लोगो आज भी MRF की पहचान

ब्रांड फाइनेंस रिपोर्ट 2023 के मुताबिक एमआरएफ 'एएए' ब्रांड ग्रेड के साथ दुनिया का दूसरा सबसे सशक्त टायर ब्रांड है। लेकिन ब्रांड बनने की इसकी यात्रा आसान नहीं रही। 60 के दशक में डनलप, फायरस्टोन और गुडईयर जैसी विदेशी टायर कंपनियों का दबदबा था। कंपनी ने मार्केटिंग पर ध्यान लगाया और इसकी जिम्मेदारी सौंपी मशहूर एडमैन एलीक पदमसी को। पदमसी ने सीधे ट्रक ड्राइवर्स से जुड़ने की रणनीति बनाई। ट्रक ड्राइवर्स ने फीडबैक दिया कि ट्रक का टायर मजबूत होना चाहिए। और इस तरह 1964 में मसलमैन का लोगो तैयार किया। ये लोगो आज भी कंपनी की पहचान है। कंपनी ने सचिन तेंदुलकर, एमएस धोनी के बैट पर एमआरएफ का प्रमोशन करके इसे बेहद लोकप्रिय बना दिया।


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Content Writer

jyoti choudhary

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