भारतीय GenAI कंपनियों में निवेश का जोर, 2025 में अब तक जुटाए 524 मिलियन डॉलर
punjabkesari.in Wednesday, Aug 13, 2025 - 04:13 PM (IST)

नई दिल्लीः भारतीय जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (GenAI) स्टार्टअप इकोसिस्टम ने 2025 के पहले सात महीनों में 524 मिलियन डॉलर की फंडिंग जुटाई है, जो पिछले पांच साल का सबसे बड़ा आंकड़ा है। मार्केट रिसर्च फर्म वेंचर इंटेलिजेंस के आंकड़ों के मुताबिक, यह 2021 में जुटाए गए 129 मिलियन डॉलर और 2024 के पूरे साल में जुटाए गए 475 मिलियन डॉलर से कहीं ज्यादा है। इस साल निवेश के मामले में Fractal Analytics, AtomicWork और TrueFoundry जैसी एंटरप्राइज सॉफ्टवेयर कंपनियां आगे हैं। अधिकांश भारतीय वेंचर कैपिटल फर्म्स का फोकस AI स्टार्टअप्स पर है।
निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी
Elevation Capital ने पिछले दो साल में AI सेक्टर में 15-20 निवेश किए हैं, जबकि पहले यह औसतन 5-6 निवेश प्रति वर्ष करता था। Upsparks Capital के मैनेजिंग पार्टनर मोहम्मद फ़राज़ के अनुसार, 2025 में AI डील फ्लो में 2024 के मुकाबले तेज़ी आई है।
यह रुझान वैश्विक निवेश ट्रेंड्स के अनुरूप है, हालांकि भारतीय निवेश का आकार अभी भी काफी छोटा है। EY की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर GenAI स्टार्टअप्स ने 2025 की पहली छमाही में 49.2 अरब डॉलर जुटाए, जो 2024 के पूरे साल के 44.2 अरब डॉलर से अधिक है।
वर्टिकल AI और ऑटोमेशन की मांग
एंटरप्राइजेज अब कोर बिज़नेस से बाहर की सेवाओं को ऑटोमेट करने के लिए AI अपना रही हैं। BFSI, हेल्थकेयर, मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों में वर्टिकल AI सॉल्यूशंस की मांग बढ़ रही है। भारत में Signzy, Prudent AI, Dozee और Uptime AI जैसी कंपनियां इस दिशा में काम कर रही हैं। Upekkha के अनुसार, 2030 तक वर्टिकल AI सॉल्यूशंस पर वैश्विक खर्च 47 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।
वैश्विक बाज़ार पर फोकस
कई भारतीय संस्थापक अब सीधे वैश्विक मार्केट के लिए प्रोडक्ट बना रहे हैं। कुछ कंपनियां दो महीने में 10 मिलियन डॉलर की वार्षिक आवर्ती आय (ARR) तक पहुंच गई हैं। भारतीय निवेशक और वेंचर कैपिटल फर्म्स भी अमेरिका में अपनी मौजूदगी बढ़ा रही हैं, ताकि संस्थापकों को सपोर्ट और नए ट्रेंड्स की पहचान जल्दी हो सके।
चुनौतियां भी बरकरार
विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय AI स्टार्टअप इकोसिस्टम अभी परिपक्व नहीं हुआ है। निवेश का स्तर वैश्विक आंकड़ों की तुलना में बहुत कम है और गहरे शोध (डीपटेक) तथा लंबे समय की परियोजनाओं में निवेश दुर्लभ है। इसके अलावा गुणवत्तापूर्ण AI टैलेंट और कंप्यूटिंग संसाधनों की कमी तथा प्रभावी गो-टू-मार्केट रणनीति की चुनौती भी मौजूद है।