आर्थिक वृद्धि के मामले में चीन से आगे बना रहेगा भारतः ADB

punjabkesari.in Thursday, Apr 06, 2017 - 05:24 PM (IST)

नई दिल्लीः एशियाई विकास बैंक (ए.डी.बी.) ने आज कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2017-18 में सुधरकर 7.4% और इससे अगले वित्त वर्ष में और बढ़कर 7.6% रह सकती है। इस प्रकार आर्थिक वृद्धि के मामले में भारत चीन से आगे बना रहेगा। ए.डी.बी. के अग्रणी आर्थिक प्रकाशन 'एशियाई विकास परिदृश्य' में कहा गया है, 'उच्च मूल्य वर्ग के नोटों को चलन से हटाने से अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाला प्रभाव नए बैंक नोटों के आने के साथ समाप्त हो रहा है। मजबूत खपत और वित्तीय सुधारों के आगे बढ़ने से व्यावसायिक विश्वास में सुधार आने की उम्मीद है। इसके साथ ही देश में निवेश संभावना भी बेहतर होगी।'

पिछले वर्ष भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.1% रही
वर्ष 2016-17 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.1% रही। पिछले साल नवंबर में 500 और 1,000 रुपए के नोटों को अमान्य किए जाने से अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर में प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका के बावजूद यह वृद्धि हासिल की गई। इसमें कहा गया है, 'दक्षिण एशिया क्षेत्र की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत की वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष में 7.1% रहने के बाद 2017-18 में 7.4% और इससे अगले साल 2018-19 में 7.6% रहने की उम्मीद है।' जहां तक चीन की बात है रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की सकल उत्पादन वृद्धि 2017 में नरम पड़कर 6.5% और 2018 में 6.2% रहने का अनुमान है। इससे पहले 2016 में यह 6.7 % थी।

चीनी सरकार द्वारा किए गए प्रयास नाकाफी
ए.डी.बी. की रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय और राजकोषीय स्थिरता के लिए चीन की सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। इसमें कहा गया है कि लगातार ढांचागत सुधारों से आर्थिक वृद्धि दर को सरकार के तय लक्ष्य के दायरे में बनाए रखने में मदद मिलेगी। दूसरी तरफ पिछले कुछ वर्षों में भारत ने आर्थिक सुधारों के मोर्चे पर कई कदम उठाए हैं।

दक्षिण एशिया बढ़ेगा तेजी से 
रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण एशिया दुनिया के सभी उप-क्षेत्रों में सबसे तेजी से बढ़ने वाला क्षेत्र होगा। इस क्षेत्र की वृद्धि दर 2017 में सात प्रतिशत और 2018 में 7.2% रहने का अनुमान है। भविष्य की संभावनाओं का जिक्र करते हुए कहा गया है कि विकासशील एशिया की दो तिहाई अर्थव्यवस्थाओं में बाहरी मांग सुधरने, वैश्विक स्तर पर जिंसों के दाम बढऩे और घरेलू स्तर पर सुधारों को आगे बढ़ाने से यह क्षेत्र वैश्विक वृद्धि में 60 प्रतिशत योगदान के साथ एकमात्र सबसे बड़ा योगदान करने वाला बना रहेगा।


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