भारत की सीफूड निर्यात में वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद तेज उछाल

punjabkesari.in Monday, May 19, 2025 - 02:55 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः वैश्विक अनिश्चितताओं और अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी की आशंकाओं के बीच भी भारत की समुद्री उत्पादों (सीफूड) के निर्यात में अप्रैल 2025 में 17.81% की मजबूत वृद्धि दर्ज की गई है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इस दौरान निर्यात बढ़कर 0.58 अरब डॉलर तक पहुंच गया।

वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने 16.85 लाख मीट्रिक टन समुद्री उत्पादों का निर्यात किया, जो मात्रा के हिसाब से 60% से अधिक की बढ़ोतरी को दर्शाता है। मूल्य के लिहाज से यह निर्यात 7.2 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जबकि FY15 में यह आंकड़ा 5.4 अरब डॉलर था।

भारत अब 130 देशों को समुद्री उत्पादों का निर्यात कर रहा है, जो 2014-15 में 105 देशों के मुकाबले काफी अधिक है। सबसे ज्यादा निर्यात होने वाला उत्पाद फ्रोजन झींगा (Frozen Shrimp) है, जो कुल निर्यात का 40% मात्रा और 66.12% मूल्य में योगदान देता है। अमेरिका और चीन भारत के सबसे बड़े बाजार बने हुए हैं।

सरकार की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) ने इस सफलता में अहम भूमिका निभाई है। इस योजना के अंतर्गत गुणवत्ता युक्त मछली उत्पादन, ब्रैकिश वॉटर एक्वाकल्चर का विस्तार, निर्यातोन्मुख प्रजातियों का संवर्धन, आधुनिक कोल्ड चेन व प्रसंस्करण सुविधाएं, ट्रेसबिलिटी और प्रशिक्षण जैसे कई पहलुओं पर निवेश किया गया है।

सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक समुद्री उत्पादों का निर्यात 18 अरब डॉलर (₹1.57 लाख करोड़) तक पहुंचाया जाए। इसके लिए विजन डॉक्युमेंट - 2030 तैयार किया गया है, जिसे मरीन प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (MPEDA) द्वारा तैयार किया गया है।

MPEDA, जो वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत काम करती है, भारत के समुद्री उत्पाद निर्यात पर निगरानी रखने वाली मुख्य संस्था है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) को केंद्र सरकार ने FY 2020-21 से FY 2024-25 तक पांच वर्षों के लिए ₹20,050 करोड़ के निवेश के साथ लागू किया है। इस योजना ने देशभर में मछली पालन और समुद्री उत्पाद निर्यात को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
 


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Content Writer

jyoti choudhary

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