चावल की भरमार से परेशान भारत, रिकॉर्ड मात्रा में एथनॉल उत्पादन के लिए किया आवंटन
punjabkesari.in Friday, Jun 27, 2025 - 05:30 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः भारत ने इस बार रिकॉर्ड मात्रा में चावल एथनॉल उत्पादन के लिए आवंटित किया है, क्योंकि देश भारी भरकम भंडार से जूझ रहा है। नई फसल के आगमन के साथ इन स्टॉक्स के और बढ़ने की संभावना है। यह हालात एकदम उलट हैं उस समय से जब देश को चावल की कमी के चलते निर्यात पर रोक लगानी पड़ी थी।
एथनॉल योजना को मिला बल
चावल को एथनॉल में बदलने की इस रणनीति से भारत अपने भारी चावल भंडार को घटाने में सफल हो रहा है और साथ ही सरकार की महत्वाकांक्षी 20% एथनॉल ब्लेंडिंग योजना को भी गति मिल रही है। गन्ने की कमी के कारण पिछले एक साल में एथनॉल उत्पादन में बाधा आ रही थी, लेकिन अब चावल से इसकी पूर्ति हो रही है।
मार्च में भारत ने चावल के निर्यात पर लगभग दो साल पुराना प्रतिबंध हटा दिया, जो मानसून की विफलता और उत्पादन में गिरावट के कारण लगाया गया था। इस साल पर्याप्त बारिश के चलते रिकॉर्ड उत्पादन की उम्मीद है।
भोजन प्राथमिकता, पर भंडार बहुत ज्यादा
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, “हमारी प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि देश में भोजन की कोई कमी न हो। लेकिन जब हमारे पास आवश्यकता से कहीं ज्यादा चावल है, तो हमने इसका उपयोग एथनॉल उत्पादन के लिए करने का निर्णय लिया है।”
भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने 2024-25 विपणन वर्ष के लिए रिकॉर्ड 52 लाख मीट्रिक टन चावल एथनॉल के लिए आवंटित किया है, जो वैश्विक चावल व्यापार का लगभग 9% है। तुलना करें तो पिछले वर्ष यह मात्र 3,000 टन था।
FCI भारत की लगभग आधी चावल की फसल खरीदता है और उसके पास अब तक का रिकॉर्ड 5.95 करोड़ टन चावल भंडार (अनमिल्ड धान समेत) 1 जून तक मौजूद है, जबकि सरकार का लक्ष्य केवल 1.35 करोड़ टन का था।
कॉर्न की कीमतों पर राहत
चावल की उपलब्धता से मक्का (कॉर्न) की कीमतों पर दबाव कम हुआ है, जो पिछले साल रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थीं और भारत को मक्का का रिकॉर्ड आयात करना पड़ा था। ग्रेन-बेस्ड डिस्टिलरीज़ चावल, मक्का और क्षतिग्रस्त अनाज का इस्तेमाल करती हैं और कीमत के अनुसार फीडस्टॉक बदलती हैं।
भारत, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता है, 2025-26 तक पेट्रोल में 20% एथनॉल मिलाने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। मई में यह दर 19.8% तक पहुंच गई, जो लगभग लक्ष्य के करीब है।
उत्पादन बढ़ाने की संभावनाएं
ग्रेन एथनॉल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन की जॉइंट सेक्रेटरी अरुषि जैन ने कहा कि यदि सरकार चावल का समर्थन मूल्य घटाती है या एथनॉल की खरीद कीमत बढ़ाती है, तो और अधिक चावल एथनॉल उत्पादन के लिए उपयोग किया जा सकता है।
FCI वर्तमान में चावल ₹22,500 प्रति टन बेच रहा है, जबकि तेल विपणन कंपनियां ₹58.5 प्रति लीटर की दर से चावल-आधारित एथनॉल खरीद रही हैं, जो कई निर्माताओं के अनुसार पर्याप्त मार्जिन नहीं देती।
भविष्य में और चावल एथनॉल में जाएगा
राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बी.वी. कृष्णा राव के अनुसार, अक्टूबर से एक और बंपर फसल आने की उम्मीद है जिससे FCI का स्टॉक और बढ़ सकता है। भारत पहले से ही वैश्विक चावल निर्यात का 40% करता है और इसके बाद भी निर्यात में 2025 में 25% की बढ़ोतरी के साथ रिकॉर्ड 2.25 करोड़ टन तक पहुंचने की संभावना है। यह थाईलैंड और वियतनाम जैसे प्रतिद्वंद्वियों के लिए चुनौती है।
फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (FAO) के अनुसार, भारत ने इस वर्ष 146.1 मिलियन टन चावल का रिकॉर्ड उत्पादन किया है, जबकि घरेलू मांग केवल 120.7 मिलियन टन रही।