अपनी निवेश योग्य संपत्ति का 17% लक्जरी प्रोडक्ट में लगाते हैं भारत के ‘अमीर’: रिपोर्ट

punjabkesari.in Wednesday, Feb 28, 2024 - 03:23 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः देश के अत्यधिक अमीर लोग अपनी निवेश योग्य संपत्ति का 17 प्रतिशत विलासिता की वस्तुओं में लगाते हैं। उनकी पहली प्राथमिकता लक्जरी घड़ियां होती हैं। इसके बाद कलाकृतियों और आभूषण का नंबर आता है। नाइट फ्रैंक इंडिया की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। रियल एस्टेट सलाहकार नाइट फ्रैंक ने बुधवार को ‘द वेल्थ रिपोर्ट-2024’ जारी की। इसमें कहा गया है कि अत्यधिक उच्च नेटवर्थ वाले लोगों (यूएचएनडब्ल्यूआई) ने अपनी निवेश योग्य संपत्ति का 17 प्रतिशत विलासिता या लक्जरी में लगाया है।

तीन करोड़ डॉलर से अधिक के नेटवर्थ वाले लोग यूएचएनडब्ल्यूआई की श्रेणी में आते हैं। सलाहकार कंपनी ने कहा कि किसी चीज का स्वामित्व रखने की खुशी प्रमुख कारण है जिसकी वजह से यूएचएनडब्ल्यूआई लक्जरी संपत्तियों में निवेश कर रहे हैं। भारतीय यूएचएनडब्ल्यूआई में लक्जरी घड़ियां निवेश का पसंदीदा विकल्प हैं। इसके बाद कलाकृतियां और आभूषण आते हैं। ‘क्लासिक’ कारें चौथे स्थान पर हैं। इसके बाद लक्जरी हैंडबैग, वाइन, दुर्लभ व्हिस्की, फर्नीचर, रंगीन हीरे और सिक्कों का स्थान आता है। हालांकि, वैश्विक स्तर पर बेहद अमीर लोगों की पसंद लक्जरी घड़ियां और क्लासिक कारें हैं।

भारत में बीते साल अमीरों की संख्या 6% बढ़कर 13,263 हुई 

नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अत्यधिक अमीर व्यक्तियों की संख्या बीते साल यानी 2023 में सालाना आधार पर छह प्रतिशत बढ़कर 13,263 हो गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में बढ़ती समृद्धि के कारण अति-उच्च नेटवर्थ वाले व्यक्तियों (यूएचएनडब्ल्यूआई) की संख्या 2028 तक बढ़कर करीब 20,000 हो जाएगी। यूएचएनडब्ल्यूआई को ऐसे व्यक्तियों के रूप में परिभाषित किया गया है जिनकी कुल संपत्ति तीन करोड़ डॉलर या उससे अधिक है। 

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में यूएचएनडब्ल्यूआई की संख्या 2023 में 6.1 प्रतिशत बढ़कर 13,263 हो गई, जबकि इससे पिछले वर्ष यह 12,495 थी। भारत में यूएचएनडब्ल्यूआई की संख्या के 2028 तक बढ़कर 19,908 होने की उम्मीद है।  

नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने रिपोर्ट में कहा, "भारत के समृद्ध वर्ग ने लंबे समय से विभिन्न श्रेणियों में संग्रहणीय वस्तुओं के प्रति रुचि दिखाई है। घरेलू और वैश्विक दोनों बाजार ऐसी वस्तुओं के लिए काफी अधिक रिटर्न की पेशकश करते हैं। भारत के अति-धनी वर्ग सक्रिय रूप से इसपर ध्यान दे रहा है।’’

उन्होंने कहा कि भारत में विभिन्न आयु समूहों में दुर्लभ संग्रहणीय वस्तुओं की मांग बढ़ रही है। बैजल ने कहा, ‘‘…जैसे-जैसे देश में संपत्ति बढ़ती जा रही है, हम इन परिसंपत्ति वर्गों में और निवेश की उम्मीद कर सकते हैं।’’


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Content Writer

jyoti choudhary

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