वैश्विक आर्थिक झटकों का भारत पर नहीं होगा ज्यादा असर: IMF

punjabkesari.in Friday, Feb 24, 2017 - 05:46 PM (IST)

वाशिंगटन: भारत की अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में है और अगर वैश्विक अर्थव्यवस्था को झटका लगता है तो इससे अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले भारत पर कम प्रभाव पडऩे की संभावना है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह कहा। आईएमएफ के एशिया एवं प्रशांत विभाग में सहायक निदेशक और भारत में मिशन प्रमुख पॉल ए कासिन ने कहा, ‘‘हमने हाल में वैश्विक अर्थव्यवस्था में हल्की वृद्धि देखी है। अगर वैश्विक वृद्धि और मांग पर कोई प्रतिकूल झटका पड़ता है, तो हमें लगता है कि भारत भी इससे प्रभावित होगा लेकिन, इस पर अन्य देशों के मुकाबले असर कम होगा जो भारत की तुलना में निर्यात और व्यापार पर ज्यादा निर्भर करते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘नोटबंदी तक भारत में खपत व्यय काफी बेहतर था और इससे आर्थिक वृद्धि को गति मिल रही थी। भारत घरेलू मांग की प्रमुखता वाली अर्थव्यवस्था है यह उस हालात के लिए अच्छा है जब वैश्विक वृद्धि कारक बेहतर नहीं हैं।’’ कासिन के अनुसार यही कारण है कि अगर आने वाले समय में वैश्विक अर्थव्यवस्था के समक्ष संकट आता है तो भारत प्रभावित होगा लेकिन अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले असर कम होगा। मुद्राकोष ने इस सप्ताह भारत पर अपनी सालाना रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2016-17 की आर्थिक वृद्धि दर कम होकर 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। इसका कारण नोटबंदी की वजह से ‘अस्थाई तौर पर उत्पन्न बाधाएं’ हैं।

नोटबंदी ने वैक्यूम क्लीनर की तरह नकदी को सोख लिया   
भारत में नोटबंदी से नकदी की गंभीर समस्या पैदा हुई और इससे उपभोग बुरी तरह प्रभावित हुआ। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के एक अधिकारी ने कहा कि नोटबंदी ने नकदी को वैक्यूम क्लीनर की तरह सोख लिया। अब धीमी रफ्तार से नकदी को बदला जा रहा है। केसीन ने कहा, ‘‘आपने गैर परंपरागत मौद्रिक नीतियों के जरिए ‘हेलीकॉप्टर से पैसा’ गिराने के बारे में सुना होगा। इसी तरह नोटबंदी की पहल को वैक्यूम क्लीनर की तरह लिया जा सकता है। कैसीन ने इस बारे में पूछे गए सवाल पर कहा, ‘‘यह नकदी को सोखने जैसा है। बाद में वैक्यूम क्लीनर उलटा चलकर पैसा डाल रहा है, हालांकि इसकी रफ्तार काफी धीमी है। इससे नकदी का संकट पैदा हुआ है जिससे उपभोग पर प्रतिकूल असर पड़ा है।’’ बाजार में नकदी के संकट के मद्देनजर आईएमएफ ने अपनी रिपोर्ट में भारत सरकार से नए बैंक नोटों को डालने का काम तेजी से करने को कहा है। जरूरत होने पर अस्थायी छूट मसलन ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में पुराने नोटों के इस्तेमाल की अनुमति देने को कहा गया है।  


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