भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में विशेष छूट का पात्रः प्रभु

punjabkesari.in Tuesday, Dec 12, 2017 - 04:54 PM (IST)

नई दिल्लीः वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने आज जोर दिया कि भारत विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू.टी.ओ.) के नियमों के तहत उस विशेष और विभेदकारी छूट के लिए पात्र है जिसके तहत कम आय वाले देशों के माल को विकसित देशों के बाजारों में मुक्त या रियायती दर पर प्रवेश मिलता है। प्रभु ने भारत में अब भी भारी संख्या में गरीब आबादी की समस्या का हवाला देते हुए अमरीका की इस आलोचना को खारिज कर दिया कि कुछ देश अपनी खुद की घोषित विकास की स्थिति के आधार पर व्यापार के नियमों की अनदेखी कर रहे हैं।

प्रभु ने कहा कि व्यापार में निम्न आय वाले देशों के माल के साथ विशेष और विभेदात्मक (रियायत) व्यवहार डब्ल्यू.टी.ओ. की व्यवस्था आंतरिक हिस्सा है। जमीनी सचाई यह है कि कुछ देशों की प्रति व्यक्ति आय काफी निचले स्तर पर है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। मंत्री से विशेष और विभेदात्मक व्यवहार के बारे में सवाल पूछे गए थे। गौरतलब है कि अमरीकी व्यापार प्रतिनिधि रॉबर्ट लाइटाइजर ने डब्ल्यू.टी.ओ. के 11वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के पूर्ण सत्र में संबोधन के दौरान इस तरह की विशेष रियातों पर कुछ सवाल उठाए थे। लाइटाइजर ने कहा, ‘‘हमें विकास की स्थिति को लेकर डब्ल्यू.टी.ओ. में  अपनी समझ स्पष्ट करनी होगी। हम ऐसी स्थिति नहीं देख सकते जबकि नए नियम सिर्फ कुछ लोगों पर लागू हों और अन्य को स्वघोषित दर्जे (कम आया वाले देश के दर्जे)के नाम पर छूट मिलती रहे। हमारे विचार में इसमें कुछ गलत है जबकि दुनिया के पांच या छह अमीर देश खुद के विकासशील देश होने का दावा करते हैं।’’

प्रभु ने कहा,  ‘‘विशेष और अलग तरह का व्यवहार डब्ल्यू.टी.ओ. का महत्वपूर्ण तत्व है। आप इन सच्चाइयों को नजरअंदाज नहीं कर सकते कि कुछ समाज विकास की प्रक्रिया में पीछे छूट गए हैं।’’ प्रभु ने पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि हम लगातार देख रहे हैं कि डब्ल्यू.टी.ओ. में विकास पर चर्चा को कुल जीडीपी आंकड़ों पर बहस के जरिए बदला जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत में हमें हाल के वर्षों की अपनी जीडीपी की वृद्धि दर पर गर्व है, हम इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकते कि भारत में 60 करोड़ लोग गरीब हैं।’’        
 


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